धन निरंकार जी 🌹🙏
तेरा रहे खयाल तो है खुशहाल ज़िन्दगी
बन्दगी में गुज़रे तो है बा कमाल ज़िन्दगी
तेरा रहे ख़्याल………………………..
है यही इल्तिजा और यही है आरज़ू
गुज़रे रज़ा में तेरी बा अमाल ज़िन्दगी
दिलमें नहीं है पयार तो बेकार है सब कुछ
इनसानियत नहीं है तो है बवाल ज़िन्दगी।
मुरशिद से मुलाक़ात और ख़बर ए ख़ुदा
है अपनी ग़र ख़बर तो है बेमिसाल जिन्दगी
“मस्त”गुज़रे ज़िक्र में और शुक्र में खुदा के
तो रहे सकूँ में बा जमाल जिन्दगी।
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धन निरंकार जी
☀️यह तेरा मेरा क़िस्सा क्या है
तुझमें मेरा मुझमें तेरा हिस्सा क्या है
तन तो ख़ाक है समझ आ गया
यह सीने में धड़कता दिलसा क्या है
तेरा हूँ तो जुदा क्यों हूँ तुझसे
नहीं हूँ तेरा तो मुझमें तुमसा कया है
मेरा दुख दर्द कया नहीं है तेरा ?
तूही सब करता है तो मेरा रसता क्या है
तु करता है सही यह मान लिया है मगर
मुझे क्यों दुख है गर बनाता मिटाता तू है।
“मस्त” मैं ही सब दुखों का कारण है शायद
तुझमें खो जाऊँ तो फिर क़िस्सा है।
तू ही तू