कहाँ कहाँ नहीं भटका तेरी दीद के बिना
तेरी दीद की खातिर
जनमोा जनम किए है ज़ाया तेरी उम्मीद के बिना
तेरी दीद की ख़ातिर
बहुत तरसा हूँ तेरी तनकीद के बिना
तेरी दीद की खातिर
अजलें गुजारी मैंने ईद के बिना
तेरी दीद की ख़ातिर
“मस्त” मुरशिद का करम है वरना मर जाते दीद के बिना
तेरी दीद की ख़ातिर
तनकीद = पहचान