तथ्य और सत्य
“”””””””””””
सेवा या=दिखावा
भक्ति या= कर्मकांड
मतलब या = प्यार
अहंकार या = निरंकार
विचार या =किताबें
निष्काम या =शेहरत
सिमरन या =बातें
फ़र्ज़ या =गरज
हक या =अरज
भागदौड़ या =ठहराव
क्या कर रहा हूँ जो गुरु का
फरमान है, या मेरी भक्ति भी
रब पर एहसान है।