अल्लाह को प्यारा हर एक बशर है
जो सबसे करे प्यार वो प्यारा है खुदा का
जिसकी नज़र में सब सम हैं उस पे अल्लाह की नज़र है
कैसी हकूमतें दौलतें शोहरतें रियासतें
अंजाम हर बशर का आख़िर में कब्र है
बन्दा वही जो बन्दगी में करे वसर जिन्दगी
जन्नत नसीब उसी को जिसे खुद की खबर हो
“ मस्त” कया उसे डर और क्या फ़िक्र हो कल की
जिसे पनाह मुरशिद की और अल्लाह का डर हो।