तेरे चरनों में…

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Narinder Kumar

unread,
Feb 27, 2025, 5:51:56 PMFeb 27
to dhan nirankar
धन निरंकार जी 🙏

तेरे चरनों में रह बेगुमान गुज़रे
तेरी मिहर से मिहरबान गुजरे

ज़िन्दगी का सफ़र बख़्शा है अगर
दाता हक़ीक़त के रसते रवाँ गुज़रे

तेरी उसतत तेरी बन्दगी हो सदा
मिलकर संग तेरे कारबॉं गुज़रे

तू ही तू ही ज़ुबान पर रहे हर वक़्त
लिखते लिखते तेरी दासतॉं गुज़रे।

“मस्त” है कुछ कहॉं है यह फ़ानी जहान
रौशनी में तेरी लम्हा लम्हा गुज़रे।
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