आत्मा जगने लगती है

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Narinder Kumar

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Jul 31, 2025, 6:29:59 PMJul 31
to dhan nirankar
धन निरंकार जी🌹🙏

जब दुनिया खेल तमाशा लगने लगती है
तब इनसान की आत्मा जगने लगती है

सराबों की इस मंडी में बिक जाते हैं
अक्सर लोग ख़ुदी का मक़सद भूल जाते हैं
आती है होश जब मौत दर ढुकने लगती है

समझा न जाना मकसद कभी हैयाती का
क्या है राज शमा परवाना और दीए बाती का
देर हो जाती है अक्सर जब आंख खुलने लगती है।

मिहर खुदा की हो तो रूह को नूर मिले
आए समझ में बात जब मुरशिद हजूर मिले
ज़िंदगी अपने आप ही सजने लगती है।
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