बोलॉं तक न रह जाए

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Narinder Kumar

unread,
Mar 27, 2025, 6:06:44 PMMar 27
to dhan nirankar
धन निरंकार जी🙏

☀️बोलॉं तक न रह जाए
ए यार मेरी बन्दगी
उस पार दे गाके महज़ किससे
न रह जाए इस पार मेरी ज़िंदगी

मुरशिद दे फरमान मुताबिक़
की हो रिहा है करम मेरा
कि फ़र्लांग लिया है
मोह माया दा मैं घेरा
जरा सोचां कि हो गई है
दिल अंदर ज्ञान वाली रौशनी

बोलॉं तक न रह जाए ए यार मेरी बन्दगी

बिन करम दे कमॉंयॉं
बिना मरहम दे लगायॉं
कि संत कहाके संतां वरगी
हो जाएगी मेरी जिन्दगी

बोलॉं तक न रह जाए ए यार मेरी बन्दगी

कि किसे दे ग़म बिच गमगीन
होना आया
कि औखे वेले किसे दे
कम आउणा आया
कि मैनूं कर रही है खुख
खुशी किसे दी

बोला तक न रह जाए ए यार मेरी बन्दगी

मस्त “ बैठ तनहा कदीं
सोच इस ज़दा नूं
दुनिया नूं भरमाउना छडके
जरा लोच इस खुदा नूं
की है एह हैयाती की है
ते की है सार इसदी।

बोलॉं तक न रह जाए ए यार मेरी बन्दगी।
“””””””””””””””””””””””””””
रब दियॉं गलॉं रूह दियॉं छललॉं
कर कर मिलदा चैन कुडे
तक तक थकदियॉं नहीं अखॉं
मुरशिद दिते नैन कुडे

जिधर देखॉं दिसदा साहब
आपे गीत है लिखदा साहब
इसदे किससे हैन कुडे

जन्म जन्म दी रूह तिरहाई
इसदी रहमत प्यास बुझाई
मुक गए नित दे वैण कुडे।

“मस्त” हकीकत ज़ाहिर होई
बिन बन्दगी जग सुख न कोई
मोह माया दे सब लैण ते देण कुडे।
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