उल्लू की उम्दा कहानी ---- Ullu ka Pathha

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Barves BK

unread,
Aug 23, 2014, 1:22:08 PM8/23/14
to VSNL VRS, golde...@googlegroups.com, BK India
So far we used to use Hindi word -- "Ullu Ka Pathha" ..
But at least, I was not knowing the meaning of this word -- and its connection.  
After reading this --- you may be able to identify ---
Who is this --- Ullu Ka Pathaa ???

Barve

---------- Forwarded message ----------
From: Prabhavati Padey

 अंजामे गुलिस्तां क्या होगा जब हर डाल पे ऊल्लू बैठा है ​

 एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए उजड़े,
​ 
 वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये !
 हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ? यहाँ न तो
​ 
 जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं ! यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो
​ 
 जायेगा ! 
भटकते २ शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की
रात बिता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !

 रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे उस पर एक उल्लू बैठा
​ 
 था। वह जोर २ से चिल्लाने लगा।
 हंसिनी ने हंस से कहा, अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये
 उल्लूचिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट
​ 
 लो,
​ ​
मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ? ऐसे उल्लू
​ ​
 जिसइलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही। 

पेड़ पर बैठा
​ 
 उल्लूदोनों कि बात सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि
​ 
 हंसभाई मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ कर दो। 
हंस ने कहा,
​ 
 कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद !
यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा, पीछे से
 उल्लूचिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो। हंस चौंका,
 उसनेकहा, आपकी पत्नी? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई
​ 
 थी,मेरे साथ जा रही है !

उल्लू ने कहा, खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है। दोनों के बीच विवाद बढ़
 गया।पूरे इलाके के लोग इक्कठा हो गये। कई गावों की जनता बैठी। पंचायत
​ 
 बुलाई
​ ​
गयी। पंच लोग भी आ गये ! बोले, भाई किस बात का विवाद है ? लोगों ने
​ 
 बताया
​ 
 कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि
​ 
 हंसिनीउसकी पत्नी है !

 लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पञ्च लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बाततो
​ 
 यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तोअभी
​ 
थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे। 
हमारे बीच में तो उल्लू को ही
​ 
 रहना है। 
इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना है ! 
फिर पंचों
​ 
नेअपना फैसला सुनाया और कहा कि 
​---​
सारे तथ्यों और सबूतों कि जांच करने के
​ ​
बादयह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की पत्नी है और हंस
​ 
 को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है !

यह  
सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायतने
​ 
 गलत फैसला सुनाया। उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली ! 
रोते- चीखते जब वहआगेबढ़ने
​ 
 लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - 
ऐ मित्र हंस, रुको ! हंस ने रोते हुए
​ 
 कहा कि भैया, अब क्या करोगे ? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ?

 उल्लू ने कहा, नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी !
 लेकिनकल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह
​ 
 इलाकाउजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है ! 

मित्र,
​---- ​
ये
​ 
 इलाका
​ 
 उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है । 
यह इलाका उजड़ा
​ 
औरवीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पञ्च रहते हैं जो उल्लुओं के हक़
​ 
 में
​ ​
फैसला सुनाते हैं !

शायद ६५ साल कि आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही
​ 
 है
​ ​
कि हमने हमेशा अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है। 

इस देश
​ 
 क़ी
​ ​
बदहाली और दुर्दशा के लिए 
कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं



--
Dnyaneshwar Barve
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