1893 में बनारस में 3 जून को जन्मे सान्याल6 फरवरी 1943 को गोरखपुर ने उन्हें अंतिम सांस ली।
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बनारस की धरती सिर्फ इसलिए पवित्र नहीं है कि वहां गंगा मइया का वास है। वहां ऐसे आजादी के परवाने भी पैदा हुए हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जिंदगियां लगा दीं। स्वतंत्रता संग्रामी सचिंदर नाथ सान्याल भी ऐेसे ही एक स्वतंत्रता संग्रामी थे, जिन्होंने देश के लिए अपने जीवन के 20 साल ब्रिटिश जेलों में गुजार दिए। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी उनको डिफेंस ऑफ इंडिया रुल्ज के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। वह सुलतानपुर की जेल में भी रहे। काकोरी कांड और बनरास कांसीप्रेंसी में भी उन्होंने दो बार काला पानी की जेल काटी।
आजादी के संघर्ष में बनारस के स्वतंत्रता संग्रामी सचिंदर नाथ सान्याल का आज जन्मदिन है।1893 में बनारस में 3 जून को जन्मे सान्याल ने बंगाली तोला हाई स्कूल और क्वीन्स कॉलेज बनारस से पढ़ाई की। वहीं से उनको आजादी की लड़ाई में देश भक्ति की लगन लगी। पहली बार वह 1915 में बनारस कांसीप्रेंसी में शामिल हुए। उन्हें इस कांड में काला पानी भेजा गया। उनकी प्रॉपर्टी को ब्रिटिश सरकार ने कब्जे में ले लिया। वहां से आने के बाद 1924 में उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन का गठन किया।
इसके बाद 1927 में बहुचर्चित काकोरी कांड में अहम भूूमिका निभाई। इस कांड में भी उनको काले पानी की सजा हुई। सजा पूरी होने के बाद सान्याल ने बनारस से अग्रगामी न्यूजपेपर की शुरूआत की। बतौर चीफ एडिटर रहे और इसी दौरान बंदी जीवन पुस्तक लिखी। जो काफी चर्चित रही। पंजाब, दिल्ली और बंगाल में उनके आने पर रोक लगी थी।
नेशनल मार्टियर्स मेमोरियल कमेटी जालंधर ने उनके जन्मदिन पर लोगों को बधाई दी। कमेटी के महासचिव मधुसूदन शर्मा ने बताया कि ऐसे ही महान सूपूतों के कारण आज देश तरक्की की राह पर है और आजादी की जीवन जी रहा है। उन्होंने इस महान सूपूत को श्रद्धांजलि दी।
1941 में दूसरे विश्व युद्ध में उनको गिरफ्तार किया गया। इस परिवार में वह अकेले ही देशभक्त नहीं थे। उनके तीन अन्य भाई रविंदर नाथ सान्याल, जतिंदर नाथ सान्याल और भूपिंदर नाथ सान्याल भी आजादी की लड़ाई में गिरफ्तार हुए। जेलों में रहे। 6 फरवरी 1943 को गोरखपुर ने उन्हें अंतिम सांस ली।