अमावस्या: 16 जून - 2015
अमावस्या हिन्दु पंचांग के अनुसार माह की 30 वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम
तिथि होती है, उस दिन आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता, रात्रि में
सर्वत्र गहन अन्धकार छाया रहता है । इस दिन का ज्योतिष एवं तंत्र शास्त्र
में अत्यधिक महत्व हैं।
तंत्र शास्त्र के अनुसार अमावस्या के दिन किये गए
उपाय बहुत ही प्रभावशाली होते है और इसका फल भी अति शीघ्र प्राप्त होता है।
पितृ दोष हो या किसी भी ग्रह की अशुभता को दूर करना हो, अमावस्या के दिन
सभी के लिए उपाय बताये गए है ।
आपकी आर्थिक, पारिवारिक और मानसिक सभी तरह की परेशानियाँ इस दिन थोड़े से प्रयास से ही दूर हो सकती है।
पितरों को खीर बहुत पसंद होती है इसलिए प्रत्येक माह की अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन के साथ खिलाने पर महान पुण्य की प्राप्ति होती है, जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है। इस दिन संध्या के समय पितरों के निमित थोड़ी खीर पीपल के नीचे भी रखनी चाहिए ।
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अमावस्या: 13 सितम्बर - 2015
अमावस्या: 12 अकतूबर - 2015
अमावस्या हिन्दु पंचांग के अनुसार माह की 30 वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम
तिथि होती है, उस दिन आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता, रात्रि में
सर्वत्र गहन अन्धकार छाया रहता है । इस दिन का ज्योतिष एवं तंत्र शास्त्र
में अत्यधिक महत्व हैं।
तंत्र शास्त्र के अनुसार अमावस्या के दिन किये गए
उपाय बहुत ही प्रभावशाली होते है और इसका फल भी अति शीघ्र प्राप्त होता है।
पितृ दोष हो या किसी भी ग्रह की अशुभता को दूर करना हो, अमावस्या के दिन
सभी के लिए उपाय बताये गए है ।
आपकी आर्थिक, पारिवारिक और मानसिक सभी तरह की परेशानियाँ इस दिन थोड़े से प्रयास से ही दूर हो सकती है।
प्रत्येक मास एक अमावस्या आती है, परंतु ऐसा बहुत ही कम होता है,जब अमावस्या सोमवार के दिन १२ अकतूबर २०१५ हो। यह स्नान, दान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। ग्रंथों में कहा गया है कि सोमवार को अमावस्या बड़े भाग्य से ही पड़ती है। पाण्डव पूरे जीवन तरसते रहे, परन्तु उनके सम्पूर्ण जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई। इस दिन को नदियों, तीर्थो में स्नान, गोदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र आदि दान के लिए विशेष माना जाता है। सोमवार चंद्रमा का दिन है। इस दिन अमावस्या को सूर्य तथा चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं, इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है।
सोमवती अमावस्या के दिन किया गया जप ध्यान लाख गुना फलदायी होता है | जितना फल दीवाली, जन्माष्टमी, होली और शिवरात्रि के दिनों में जप ध्यान करने से होता है उतना ही फल सोमवती अमावस्या के दिन भी करने से होता है |
सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करते हो, ओंकार का थोड़ा जप करते हो, सूर्य नारायण को अर्घ्य देते हो; तुम्हारे घर से दरिद्रता भाग जाएगी l यह सब साथ में करो तो अच्छा है, नहीं तो खाली तुलसी को 108 बार प्रदक्षिणा करने से तुम्हारे घर से दरिद्रता भाग जाएगी l
अमावस्या: 9 जनवरी - 2016
अमावस्या हिन्दु पंचांग के अनुसार माह की 30 वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम
तिथि होती है, उस दिन आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता, रात्रि में
सर्वत्र गहन अन्धकार छाया रहता है । इस दिन का ज्योतिष एवं तंत्र शास्त्र
में अत्यधिक महत्व हैं।
तंत्र शास्त्र के अनुसार अमावस्या के दिन किये गए
उपाय बहुत ही प्रभावशाली होते है और इसका फल भी अति शीघ्र प्राप्त होता है।
पितृ दोष हो या किसी भी ग्रह की अशुभता को दूर करना हो, अमावस्या के दिन
सभी के लिए उपाय बताये गए है ।
आपकी आर्थिक, पारिवारिक और मानसिक सभी तरह की परेशानियाँ इस दिन थोड़े से प्रयास से ही दूर हो सकती है।
अमावस्या: 8 फ़रवरी - 2016
अमावस्या हिन्दु पंचांग के अनुसार माह की 30 वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम
तिथि होती है, उस दिन आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता, रात्रि में
सर्वत्र गहन अन्धकार छाया रहता है । इस दिन का ज्योतिष एवं तंत्र शास्त्र
में अत्यधिक महत्व हैं।
तंत्र शास्त्र के अनुसार अमावस्या के दिन किये गए
उपाय बहुत ही प्रभावशाली होते है और इसका फल भी अति शीघ्र प्राप्त होता है।
पितृ दोष हो या किसी भी ग्रह की अशुभता को दूर करना हो, अमावस्या के दिन
सभी के लिए उपाय बताये गए है ।
आपकी आर्थिक, पारिवारिक और मानसिक सभी तरह की परेशानियाँ इस दिन थोड़े से प्रयास से ही दूर हो सकती है।
प्रत्येक मास एक अमावस्या आती है, परंतु ऐसा बहुत ही कम होता है,जब अमावस्या सोमवार के दिन 8 फ़रवरी 2016 हो। यह स्नान, दान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। ग्रंथों में कहा गया है कि सोमवार को अमावस्या बड़े भाग्य से ही पड़ती है। पाण्डव पूरे जीवन तरसते रहे, परन्तु उनके सम्पूर्ण जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई। इस दिन को नदियों, तीर्थो में स्नान, गोदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र आदि दान के लिए विशेष माना जाता है। सोमवार चंद्रमा का दिन है। इस दिन अमावस्या को सूर्य तथा चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं, इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है।