संगीत और कला की साधना किसी भी इंसान को ईश्वर के निकट लाती है....शायद यही कारण है की ईश्वर को भी इनके साधकों से विशेष लगाव रहता है...और यह लगाव वर्ष 2011 में कुछ ज़्यादा ही देखने को मिला...पंडित भीमसेन जोशी, जगजीत सिंह, भूपेन हजारिका, उस्ताद सुलतान खान,
मकबूल फ़िदा हुसैन, शम्मी कपूर, देवानंद जैसे बेमिसाल फनकारों को हमसे छीनकर इश्वर ने उन्हें अपने शरण में बुला लिया...इनका यहाँ से चले जाना धरतीवासियों का दुर्भाग्य कहा जाय, या फिर वहां पंहुचना स्वर्गवासियों का सौभाग्य...लेकिन कटु सत्य यही है कि 2011 ने भारतीय संगीत और कला के जिन स्वर्णिम अध्यायों पर विराम लगाया, उसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं...इन लोगों के जाने पर मेरी आँखों से एक भी बूँद आंसू नहीं गिरा...और न ही छाती पीटकर विलाप किया...एक दिन तो क्या, एक प्रहर के लिए भी दाना-पानी नहीं छोड़ा... लेकिन यकीन मानिये, एक संगीत-प्रेमी और कला-प्रेमी होने के नाते ऐसा लग रहा है मानो मेरा बरसों पुराना खज़ाना लुट गया हो...अन्दर ही अन्दर खुद को एक कंगाल फ़कीर की तरह बोध कर रहा हूँ...ईश्वर को कोस तो नहीं सकता...और न ही उनका कुछ बिगाड़ सकता हूँ...इसलिए उसे यह कहकर खुद को झूठी तसल्ली दे रहा हू, या यूँ कहिये कि अपने मन की भड़ास निकाल रहा हूँ - "हे सर्वशक्तिमान ! तुम तो इस जगत के दाता हो...लेकिन इस साल मैंने तुम्हे अपने देश के खज़ाने में से इन अनमोल रत्नों को दान देकर, तुम्हे अपना ऋणि बना दिया है...तुम भी क्या याद रखोगे...ऐश करो !!!"
--
"A candle doesn't lose its light by lighting other candles"
Thanks & Regards,
Shawbhik Palit
Asst. Editor, Apparel Online (Hindi Division)
New Delhi.
+91-9312314090