Fwd: Today Thought / A Beautiful Story

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Sunder Pal Saini

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Oct 3, 2013, 10:50:16 PM10/3/13
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शुभारम्भ 

दो मित्र बहुधा परस्पर बहस किया करते थे कि  भगवान का नाम लो तो मन से लो, अन्यथा कोई लाभ नहीं. 

एक दिन वे दोनों एक  महात्मा जी के  सत्संग कार्यक्रम में जा पहुंचे.  प्रवचन समाप्त होने पर एक मित्र ने उनसे  शंका निवारण की प्रार्थना की - " महात्मा जी ! मेरी जिव्हा तो प्रभु का नाम जपती है किन्तु मन उसमें नहीं रमता." 

दूसरे मित्र ने कहा- " महात्मन ! आप ही बताएं कि  ऐसे नाम जपने का क्या लाभ ? "

महात्मा जी मुस्कराए और बोले - " बेमन से ही सही, प्रभु नाम लेने में भी लाभ है. कम से कम भगवान् का दिया हुआ एक अंग तो सन्मार्ग पर है. जब एक अंग ने यह सत्कर्म शुरू कर दिया तो एक दिन मन भी इस सन्मार्ग पर चल पड़ेगा. सत्पथ  पर  यात्रा का शुभारम्भ तो हुआ भले ही छोटे कदम से."

ज़िन्दगी की सीख :किसी भी कार्य का शुभारम्भ बहुत महत्वपूर्ण है, भले ही छोटे कदम से हो.  



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 Sunder Pal Saini     

 
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Sunder Pal Saini

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Oct 4, 2013, 10:47:46 PM10/4/13
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आलोचक 

एक बार जग प्रसिद्द हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन ने देखा कि उनके शहर के सबसे बड़े नाट्य सभागार में एक अभिनय प्रतियोगिता  का आयोजन किया गया था, 

जिसका विषय था -  " चार्ली चैपलिन के हम-शक्ल ". उन्हें जाने  क्या सूझी, वह स्वयं भी प्रतियोगिता में  शामिल हो गए. पचासों कलाकारों ने चार्ली की नकल करके दर्शकों का खूब मनोरंजन किया. 

उनमें से कई प्रतियोगी  बिलकुल चार्ली चैपलिन की सत्य प्रतिलिपि लग रहे थे और उनका अभिनय भी ठीक उन्हीं के जैसा.

अंत में जब परिणाम घोषित हुआ तो चार्ली चैपलिन यह देख  हतप्रभ रह गए कि प्रथम पांच में उनका नाम नहीं  था. असली चार्ली चेपलिन भी नकलचियों के बीच अपनी असलियत सिद्ध न  कर पाए.

ज़िन्दगी की सीख: आलोचक बहुधा आत्मविश्वास का क्षय करते हैं, अत: अपने जीवन से आलोचकों को दूर रख प्रेरकों  को पास रखें. 
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Sunder Pal Saini

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Oct 8, 2013, 11:14:18 PM10/8/13
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जेन लोग बुद्ध को इतना प्रेम करते हैं कि वो उनका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं. ये अथाह प्रेम कि वजह से है; इसलिए उनमे डर नहीं है –ओशो
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जोकर की सीख

एक बार एक जोकर सर्कस मे लोगो को एक चुटकुला सुना रहा था। चुटकला सुनकर लोग खूब जोर-जोर से हंसने लगे । कुछ देर बाद जोकर ने वही चुटकुला दुबारा सुनाया । अबकी बार कम लोग हंसे । 

थोडा और समय बीतेने के बाद तीसरी बार भी जोकर ने वही चुटकुला सुनाना शुरू किया ।

पर इससे पहले कि वो अपनी बात ख़त्म करता बीच में ही एक दर्शक बोला, ” अरे ! कितनी बार एक ही चुटकुला सुनाओगे…. कुछ और सुनाओ अब इस पर हंसी नहीं आती। “

जोकर थोड़ा गंभीर होते हुए बोला , ” धन्यवाद भाई साहब , यही तो मैं भी कहना चाहता हूँ…. जब ख़ुशी के एक कारण की वजह से आप लोग बार- बार खुश नहीं हो सकते तो दुःख के एक कारण से बार-बार दुखी क्यों होते हो , 

भाइयों हमारे जीवन में अधिक दुःख और कम ख़ुशी का यही कारण है…हम ख़ुशी को आसानी से छोड़ देते हैं पर दुःख को पकड़ कर बैठे रहते हैं … “

मित्रो इस बात का आशय यह है कि जीवन मे सुख-दुःख का आना-जाना लगा रहता है ।पर जिस तरह एक ही खुशी को हम बार बार नही महसूस करना चाहते उसी तरह हमें एक ही दु:ख से बार-बार  दुखी नहीं महसूस करना चाहिए ।

 जीवन मे सफलता तभी मिलती है जब हम दु:खो को भूलकर आगे बढने का परयत्न करते है ।
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