Fwd: Today Thought / A Beautiful Story

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Sunder Pal Saini

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Sep 17, 2013, 11:53:45 AM9/17/13
to Virendra Kumar Deera/HMCD/HMCL

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भक्ति भावना

भगवान् के एक बहुत बड़े भक्त थे। सर्वदा ईश्वर भक्ति व परोपकार के कार्यों में लीन रहते।  एक बार नारद जी पृथ्वी पर भ्रमण करने आये।


भक्त ने नारद जी से विनती की - " देवर्षि, मेरे मन में प्रभु के दर्शन की बहुत लालसा है। जब भी आप प्रभु से मिलें, तब उनसे पूछ कर बताईये कि मुझे  उनके दर्शन कब होंगे ?"  नारद जी ने हामी भर दी।


कुछ समय बाद नारद जी फिर से पृथ्वी पर आये।  भक्त ने उत्सुकता व विनम्रता पूर्वक नारद जी से अपना प्रश्न दोहराया।


" मैंने प्रभु से पूछा था, उनका कथन है कि हम जिस वृक्ष के नीचे खड़े हैं, उसमें जितने पत्ते हैं, उतने वषों के बाद तुम्हे प्रभु के दर्शन होंगे। " 


नारद जी की बात सुन कर भक्त भाव विभोर हो कर नाचने लगे - मन में आनंद का भाव था, बार बार यही कह रहे थे - " मेरे प्रभु आयेंगे, मुझे प्रभु के दर्शन होंगे।"

उसी समय वहां भगवान् प्रकट हो गए। भक्त अपने  प्रभु के दर्शन कर धन्य हो गया। उसका रोम-रोम पुलकित हो उठा।  


उस समय नारद जी ने कहा - " भगवन, आपने मुझसे कहा था कि इस वृक्ष पर जितने पत्ते हैं, उतने जन्म के बाद आप आयेंगे, लेकिन आप तो अभी आ गए। मेरा कथन भी इस भक्त के सामने झूठा  पड़ गया। "

"नारद मैंने सत्य कहा था।  लेकिन भक्त की भक्ति के सामने मैं भी विवश हूँ। मुझे लगता था की इतना अधिक समय सुन कर भक्त के मन में निराशा होगी, लेकिन इसके मन में तो और अधिक भक्तिभाव आ गया। इसलिए मुझे अभी आना पडा।"  

ज़िंदगी की सीख :
जीवन का लक्ष्य कितना भी दूर लगे, अपने प्रयासों में कभी कोई कमी न आने दें।  


 Sunder Pal Saini     

 
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