पाणिनि

2 views
Skip to first unread message

Shastri JC Philip

unread,
May 26, 2007, 6:31:54 PM5/26/07
to panini...@googlegroups.com

पाणिनि-परिचय

हर हिन्दी-प्रेमी को इस बात से दु:ख होता है कि आम हिन्दी-भाषी बिन जरूरत हर हिन्दी वाक्य में एक या अधिक अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करता है. उनका तर्क यह है कि हिन्दी में सरल, सुलभ एवं ललित शब्दों की कमी है. यह एक भारी गलतफहमी है, एवं इसे दूर कर के, सरल शब्द-भण्डार को प्रचलित करने की जरूरत है. पाणीनि इस दिशा में एक रचनात्मक आंदोलन है.

लोग हर बात में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग इसलिये करते हैं कि उन अंग्रेजी शब्दों प्रचलन बहुत अधिक है. हिन्दी में उनके लिये सरल, सहज, एवं ललित शब्दों की कमी नही है, लेकिन जब तक वे प्रचलित नही होंगे, वे बोलने-सुनने वालों को अजूबा लगेंगे. लेकिन जब उनका उपयोग बढेगा, तो वे आम शब्द बन जायेंगे. हमारा मतलब यह नही है कि हिन्दी के क्लिष्ट शब्दों को बढावा दिया जाये. कदापि नहीं. उनको हम उन लोगों के लिये छोड देंगे जिनको क्लिष्ट शब्दों में आनंद आता है. जरूरत इस बात की है कि उन सरल एवं सहज हिन्दी शब्दों का प्रचार किया जाये जो सरल हैं, लेकिन उपयोग में न आने के कारण कठिन लगते हैं.

हम नियमित रूप से प्रचलित अंग्रेजी शब्दों के लिये उपयुक्त हिन्दी शब्द एवं पर्याय आमंत्रित करेंगे. पाठकों से प्रार्थना है कि वे इन के लिये उपयुक्त हिन्दी शब्द उनके अंग्रेजी सन्दर्भ सहित सुझायें. चुने हुए शब्द पाणिनि में जोड दिये जायेंगे. आपका नाम सहयोगियों की श्रेणी में जोड दिया जायगा.

जब लगभग 5000 शब्द हो जायेंगे, तब पाणिनि इनको एक “सहज-हिन्दी शब्दकोश” साफट्‍वेयर में परिवर्तित कर देगा जो हमेशा नि:शुल्क बांटा जायगा जिससे सरल, सहज, एवं ललित हिन्दी का प्रचार एवं प्रसार बढे. सहयोगियों का नाम उसमें रहेगा. पणिनि बढता ही रहेगा, एवं 5000 शब्दों पर रुक नहीं जायगा.

अंग्रेजी से हमारा कोई बैर नहीं है. एक भारतीय जितनी भी भाषायें सीखे वह उसके लिये और भारतीय समाज के लिये अच्छा है. हमारा विरोध सिर्फ इस बात से है कि, प्रचार एवं प्रसार न होने के कारण हिन्दी की सौत अंग्रेजी आम जनता के बीच धीरे धीरे हिन्दी का स्थान लेती जा रही है. यह ठीक नहीं है, एवं हमें हाथ पर हाथ रख कर नहीं बैठना है.

इस रचनात्मक आंदोलन से जुड जाईये. आम अंग्रेजी शब्दों के लिये सहज हिन्दी शब्द सुझाईये. हम हर दिन एक नया शब्द आपसे मांगेगे, लेकिन उसका इंतजार किये बिना भी ई-पत्र द्वारा आप पाणिनि को सुझाव भेज सकते हैं. अगली पीढी आपका ऋणी होगी. हिन्दी के प्रचार-प्रसार में यह एक और कदम होगा.

शास्त्री जे सी फिलिप

Reply all
Reply to author
Forward
0 new messages