प्रेस-नोट दिनांकः21/8/2015
विधायक सुरेन्द्रसिंग बघेलजी ने सत्याग्रह का समर्थन किया।
ओरिसा से आये वरिष्ठ समाजीकत्र्ता सामंतरा ने संघर्ष की साथ दी। अप्पर वेदा में गिरफातर व डूब का धिककार
नर्मदा घाटी के सैकडो गांववासी, आज जांगरवा, छोटा बडदा (बडवानी) एवम् चिखल्दा के बहन, भाई बच्चों के साथ जीवन अधिकार सत्याग्रह र्के यारहवे दिन भी राजघाट पर डटे हुए हैं। आज के सत्याग्रह के विषेष अतिथि रहे, आंरिसा के वरिष्ठ प्र्यावरणवादी एवम् सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ला सामंतरा। सामंतराजी 24 अगस्त के ‘‘ भूमि-आवास-अजीविका महासम्मेलन ‘‘ के लिए पधारे हैं।
उन्होने मनावर, कुक्षी व बडवानी तहसीलों के गांवों का दौरा करने के बाद सत्याग्रहीयों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘ नर्मदा बचाओं आंदोलन ने विकास की अवधारण पर 30 सालों से डठाये सवाल आज देष के राजनीतिक अजेंडा पर आ चुके हैं। भूमी अधिग्रहण से हो रहा अन्याय, किसानों की, आदिवासीयों की लूट के खिलाफ अब देषवासी संगठन एक हो चुके है। मोदी सरकार का तानाषाही का नमूना है सरदार सरोवर बांध उंचाई 17 मी. से आगे बढाने का निर्णय! आंदोलन का सत्याग्रह का निर्णय एक बडी चुनौती है। देषभर के प्रमुख जनआंदोलन, आपके घाटी में 24 तारिख के रोज पधार रहे हैं, क्योंकि वे इस आंदोलन का योगदान मानते हैं, साथ ही किसान-मजदूर-मछुआरों के हक के लिए चल रहे इस संघर्ष में ष्षामिल होकर उसे और तेज करना चाहते हैं।
कुक्षी, धार के विधायक ने दी जीवन अधिकार सत्याग्रह से षासन को चेतावनी।
कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री सुरेंन्द्रसिंग बघेल जी ने आज जीवन अधिकार सत्याग्रह स्थल पर आकर नर्मदा बचाओं आंदोलनकारीयों को, जिनमें वहिदभाई (चिखल्दा), सनोवर बी, महाराष्ट्र के नूरजीभाई वसावे व अन्य विस्थापित प्रतिनिधी थे, सुना/विधायक श्री बघेल ने, पुनर्वास न होने से, उनके क्षेत्र के गावगाव में आवास कर रहे हजारो हजार लोगों को, यहां की संस्कृति, प्रकृति को डूबोना अन्यायपूर्ण बताने हुए, हर मंच और मोर्चे पर अपने दल से तथा स्वयं आवाज उठाने का आष्वास दिया। देष का सबसे बडा आंदोलन होते हुए आज तक सरदार सरोवर के ही विस्थापितों को पुनर्वास के जो लाभ मिल पाये, वैसे और उतने भी नर्मदा घाटी के अन्य किसी बांध के विस्थापितों को भी नहीं मिले हैं। लेकिन यहां भी भ्रष्टाचार हुआ है और हजारों का पुनर्वास बाकी है तो भी गांवों में पानी भरने का निर्णय और आज बांध पर चल रहा कार्य गैरकानूनी है।
सत्याग्रीियों ने आग्रह रखा कि इस गंभीर चुनौती को स्वीकार आंदोलन के मुददे, जानकारी के साथ विधायक और उनका दल तत्काल, उठाये और विधानसभा सहित सभी मंचों पर आग्रही रूप बात रखे।
अप्पर बेदा बांध विस्थापितों पर अत्याचार का धिककार
अप्पर वेदा भी नर्मदा घाटी के 30 बडे बांधों में से एक, 14 आदिवासी गांव डूबोने वाला और पुनर्वास नीति का, वैकल्पिक आजीविका सहित पुनर्वास करे बिना उन्हें उखाडने वाला बांध साबित हो रहा है।
इस बांध को लेकर, पुनर्वास के मुददे पर पिछले कई सालों से सवाल डठाये हैं, नर्मदा बचाओं आंदोलन के चित्तरूपा पालीत्, आलररेक अग्रवाल इत्यादि ने लोगों के साथ संघर्ष किया। आज भी करीबन् 250 परिवारों का पुनर्वास बाकी होते हुए इस बांध को आगे बढाना व पानी भरना बिल्कुल गैरकायदेसर व अन्यायपूर्ण है।
इसीलिए लोगों के संघर्ष को नकारकर ही नही ंतो झूठे ष्षपथ पत्र देकर 5 ही परिवार पुनर्वास के बाकी है यह दावा करते हुए, एनवीडीए म.प्र. हायकोर्ट की अवमानना की है। चित्तरूपा पालीत को गाववासीयों से बात करने से रोककर गिरफतार करना भी जनतंत्र और संविधान के खिलाफ है। जलसत्याग्रह का समर्थन करते हुए हम गिरफतारी और डूब का विरोध करते है।
लोकेन्द्र पाटीदार भागीरथ धनगर पवन यादव राहुल यादव मेधा पाटकर
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Narmada Bachao Andolan,
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