संबंधित मंत्रालय : वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद्

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Sanjeev Goyal

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Dec 4, 2025, 10:01:03 AM (3 days ago) Dec 4
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PMOPG/E/2025/0180610


संबंधित मंत्रालय : वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद्

 

 

(1)  विषय : ऊर्जा की व्यर्थता

 

वर्तमान स्थिति और समस्या: रसोई में उपयोग होने वाले गैस बर्नर (Gas Burner) के वर्तमान डिज़ाइन की दक्षता पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा ऊष्मा के रूप में व्यर्थ हो जाता है।

मुख्य समस्या यह है कि:

  1. खुली ज्वाला: बर्नर की ज्वाला (Flame) चारों ओर से खुली होती है।

  2. ऊष्मा का व्यर्थ होना: वर्तमान डिज़ाइन बर्तनों  के किनारों से हवा में जा रही ऊष्मा को रोक नहीं पाता है, जिससे ईंधन (गैस) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बर्बाद हो जाता है और खाना पकाने में अधिक समय लगता है।

 

समाधान के लिए प्रेरणा : सड़क किनारे खाना बेचने वाले विक्रेताओं के काम करने के तरीके से प्रेरणा ली जा सकती है, जहाँ वे ऊष्मा को बचाने और अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए साधारण और प्रभावी तरीके अपनाते हैं। वे अक्सर बर्नर के चारों ओर धातु के एक आवरण (कवर)  का उपयोग करते हैं, जो:

  • ऊष्मा को केंद्रित करता है: यह आवरण ज्वाला से निकलने वाली अतिरिक्त ऊष्मा को बर्तन की सतह पर निर्देशित करता है।

  • दक्षता बढ़ाता है: इससे कम समय में अधिक ऊष्मा बर्तन को मिलती है, जिससे गैस की बचत होती है।

 

निष्कर्ष और अनुरोध: इसी प्रकार की दक्षता बढ़ाने वाली प्रणाली  को घरेलू उपयोग के लिए भी विकसित किया जाना चाहिए। अतः, यह अनुरोध है कि घरेलू गैस बर्नर के डिज़ाइन का तकनीकी मूल्यांकन  किया जाए और एक ऐसा नवीन डिज़ाइन तैयार किया जाए जो ऊष्मा को प्रभावी ढंग से संग्रहीत  कर सके, जिससे गैस की खपत कम हो और खाना पकाने की गति बढ़ाई जा सके।

 

 

(2) विषय : निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट

 

"देश में सड़कों के विकास के साथ-साथ पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथों का निर्माण भी तेजी से हो रहा है। इन फुटपाथों के किनारों पर लगे पत्थर और बीच में लगी टाइल्स अत्यधिक मात्रा में मलबा (निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट) उत्पन्न करने का कारण बन रहे हैं। इसके अतिरिक्त, सड़क के मध्य में भी दोनों ओर पत्थर लगाए जाते हैं। ये सभी सामग्रियाँ निर्माण शालाओं से साँचे में ढलकर आती हैं। देश भर में इस सामग्री का बड़ी मात्रा में उपयोग किया जा रहा है।

 

साथ ही, पुराने पत्थर और टाइल्स भी भारी मात्रा में निकलकर मलबे की समस्या को विकराल बना रहे हैं। यह पर्यावरण के लिए घातक समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है

 

अतः, अनुरोध है कि इन पत्थरों व टाइल्स में प्रयुक्त सामग्री व डिज़ाइन पर अनुसंधान किया जाए जिससे पुनः उपयोग (Reuse) अथवा पुनर्चक्रण (Recycling) संभव हो सके। कुछ ऐसी विधि का विकास किया जा सकता है जिससे यह इनका सफलतापूर्वक भवन निर्माण अथवा अन्यत्र उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।"

 


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