PMOPG/E/2024/0185957
(1) यह अक्सर देखा गया है की पुलिस के वाहन रात्री को भी सायरन बजाते हैं। जिस वक्त सड़कें बिलकुल खाली हैं – सायरन क्यों बजाना चाहिए? क्या यह सर्वोच्च न्यायालय के नियमों का सरासर उल्लंघन नहीं? रात को पुलिस क्यों शोर मचाना चाहती है। अगर कभी आवश्यकता है भी तो यह जानते हुए की रात्रि को जब ध्वनि की तीव्रता बढ़ जाती है क्यों ‘फुल वॉल्यूम’ पर सायरन बजाया जाता है। रात को एक सायरन की आवाज कई किलोमीटर तक जाती है।
(2) सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक किसी भी प्रकार के भोंपू के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध है। तथा दिन में भी स्वर की तीव्रता के नियंत्रण संबंधी नियम हैं। किन्तु इनको धता बता कर सम्पूर्ण दिल्ली में मस्जिदों से दिन में पाँच बार बहुत तीव्र स्वर में भोंपू बजाया जाता है। रात्रि 10-6 जबकि किसी भी भोंपू के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध है यह खुले आम हो रहा है। यह घोर आश्चर्य का विषय है की जिस प्रथा पर मुस्लिम देशों में भी प्रतिबंध है वो भी भारत वर्ष में हो रही हैं। कैसे किसी को भी रोज़ इतनी सुबह शांति भंग करने की आज्ञा दी जा सकती है। कई बार शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यह एक जांच का विषय है कि पुलिस के सतर्क गश्ती दल सब कुछ जानते हुए भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की खुल्लम खुल्ला अवहेलना क्यों नहीं रोक पा रहे हैं? अगर किसी ब्याह शादी में 10 बजे के बाद DJ बजता है तो पुलिस किसी की भी शिकायत पर तुरंत आ जाती है किन्तु अजान के लिए बहुत सारे निवासियों द्वारा आपत्ति दर्ज करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी द्वारा प्रकाशित मानकों के अनुसार आबादी वाले इलाकों में दिन के समय 55 डेसिबल व रात्री 45 डेसिबल से अधिक नहीं हो सकती। सायरन/भोंपुओं से आने वाली ध्वनि इससे कहीं अधिक है।
मेरा अनुरोध है की उपरोक्त दोनों बिन्दुओं के लिए पुलिस विभाग को उचित व समय बद्ध कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए जाएँ।