PMOPG/E/2025/0160631
21/10/2025
संबंधित अधिकारी : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार.
ऐसा ज्ञात हुआ है कि बांग्लादेश, भारत से आयातित वस्तुओं एवं सेवाओं के एवज में भुगतान करने में असमर्थ होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार बकाया वसूली हेतु सार्वभौमिक गारंटी को भुनाने की दिशा में विचार कर रही है।
इस संदर्भ में मेरा विनम्र सुझाव है कि इस परिस्थिति को व्यापक रणनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए। विशेष रूप से असम राज्य में बांग्लादेश सीमा से लगे संकीर्ण क्षेत्र, जिसे ‘चिकेन नेक’ के नाम से जाना जाता है, भारत के लिए सदैव से ही सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा है। समय-समय पर इस क्षेत्र को लेकर विभिन्न मंचों पर चर्चा होती रही है। गत वर्ष बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के दौरान भी यह विषय सुर्खियों में आया था, यद्यपि कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया।
उल्लेखनीय है कि भारत ने 2015 में बांग्लादेश के साथ सीमा विवादों के समाधान के अंतर्गत लगभग 10,000 एकड़ भूमि हस्तांतरित की थी। इसके बावजूद कई अहम रणनीतिक विषय अभी भी लंबित हैं।
वर्तमान में जब बांग्लादेश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, तो भारत के लिए यह एक ऐसा अवसर हो सकता है, जिसे राजनयिक कौशल के साथ उपयोग में लाया जा सकता है। ‘चिकेन नेक’ क्षेत्र का जो भाग बांग्लादेश के अधिकार क्षेत्र में है, वह संभवतः उनके लिए सामरिक दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है, जबकि भारत के लिए इसकी रणनीतिक उपयोगिता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अतः मेरा सुझाव है कि भारत सरकार इस विषय पर गंभीरता से विचार करे और बकाया धनराशि के बदले उक्त क्षेत्र के भू-भाग के हस्तांतरण हेतु बांग्लादेश के समक्ष एक औपचारिक प्रस्ताव प्रस्तुत करने की संभावना पर मंथन करे। इससे न केवल भारत की सामरिक स्थिति सुदृढ़ होगी, बल्कि यह कदम आर्थिक दृष्टि से भी भारत के हित में रहेगा।