GNCTD/E/2024/0007464
बढ़ती जनसंख्या के साथ पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की मात्रा भी तेजी से बढ़ रही है, प्रयोग हो चुकी ऐसी सामग्री का निस्तारण एक समस्या बनती जा रही है । दिल्ली सरकार ने इस संबंध में उचित विकल्प सुझाने में विफलता दिखाई है। केवल यह कहा जाता है कि यमुना में सामग्री प्रवाहित न करें, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं दिया जाता।
इसका परिणाम यह है कि पीपल के वृक्ष के नीचे और नदी किनारे पूजा की सामग्री का अंबार लग जाता है। पुनर्चक्रण के लिए कोई सुविधाएं नहीं हैं, जिससे लोग प्रयोग हो चुकी सामग्री को अनिच्छा से अनुचित स्थानों पर रख रहे हैं। इससे न केवल सार्वजनिक स्थानों पर साफ-सफाई की समस्या उत्पन्न हो रही है, बल्कि पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
अतः, नगर निगम को इस मुद्दे पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए। एक समाचार के अनुसार निगम ने दक्षिण दिल्ली में ऐसे कुछ पुनर्चक्रण केन्द्रों की स्थापना की है, जो की दिल्ली के विशाल क्षेत्र व जनसंख्या को देखते हुए बहुत कम हैं । स्थानीय तौर पर ऐसी सामग्री के संग्रहण की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए द्वारका क्षेत्र में तुरंत ऐसा एक केंद्र खोलने की मांग की जाती है जिससे की उसका संग्रहण व पुनर्चक्रण संभव हो सके । इससे न केवल सफाई की समस्या कम होगी, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी।