नमस्ते, मित्रो!
आज यकायक गूगल समूह पर आई और पुराने कुछ सन्देश देखे। सब कुछ जैसे बीते युग की बात लगा। सोशल मीडिया के युग में यों कहने को सम्पर्क सुगम हुआ है, किन्तु कुछ साथी एकदम छूट गए, कुछ सदा के लिए । कोरोना ने रही-सही कसर पूरी कर दी। आप सब को नमस्ते कहने और कुशल रहने की शुभकामना व्यक्त करने की बहुत बलवती इच्छा हुई , इस समय। जीवन में अधिकांश से मिलना तो नहीं हुआ कभी, पुनरपि सब बहुत अपने से लगते रहे हैं। मिल कर नेट पर जाने क्या-क्या लिखा, किया और कहाँ-से-कहाँ तक आए हैं। 2004 से साथ मिल कर जो किस्सा रचा था, वह इतिहास में यों ही खो जाएगा, बिखर जाएगा ।
न जाने जीवन में सभी के प्रति अपने स्नेह व आत्मीयता को व्यक्त करने का अवसर कभी मिले न मिले, इसलिए आज इस घड़ी उसे स्मरण कर, लिख रही हूँ।