भले ही पौराणिक कथा कुछ भी हो या न हो। उपग्रह से लिए गए चित्रों में
पानी के नीचे डूबा हुआ पुल जैसा कई किलोमीटर लम्बा उभार स्पष्ट दिखाई
देता है। ऐसे पानी के ऊपर तिरनेवाले हल्के पत्थर अपने आप में एक विस्मय,
आश्चर्य और विज्ञान तथा तकनीकी को चुनौती देते हैं। यदि ऐसे पत्थरों की
खान कही आसपास हो, या कृत्रिम रूप से ऐसे पत्थर बनाए जा सकें तो
रामेश्वरम् से लंका तक समुद्र पर यह पुल दुबारा बनाया जा सकता है।
फिलहाल यह समस्या है ब़ड़े जहाजों के आने-जाने के लिए शार्ट-कट समुद्री
मार्ग को प्रशस्त करने हेतु समुद्र के नीचे इस पुल जैसे उभार को तोड़कर
समुद्र को गहरा बनाने की सलाह दी है कुछ अन्तर्राष्ट्रीय इंजीनियरों ने।
इसे अवश्य ही डायनामाइट या बमों या अन्य विस्फोटकों से ब्लास्ट करके ही
तोड़ा जाएगा। जिससे भयँकर पर्यावरणीय संकट, भारत-श्रीलंका के भूखण्डों का
स्खलन, भूकम्प तथा सुनामी जैसी प्राकृतिक विपदाओं की आशंका है... विस्तृत
विवरण के लिए यहाँ देखें...
http://hariraama.blogspot.com/2007/09/ramsetu-environmental-issues.html
On 17 सित, 22:24, arvind mishra <drarvi...@gmail.com> wrote:
> धन्यवाद ,मैं न तो नास्तिक हूँ और न ही आस्तिक .एक बीच की कैटेगरी भी है
> अग्येय्वादियों की .ये मेरी विवशता है की मैं अग्येय्वादी हूँ.
> जो न तो भगवान् की सत्ता को मानता है और न ही इनकार करता है .
> राम सेतु जिस रूप मे है एक कुदरती रचना है ,यह आस्था का प्रश्न नही है.यह
> कोरी तार्किकता का सवाल है .नासा ने अपने उस बहुचर्चित चित्रण की चर्चा
> करते हुए यह नही कहा है उक्त संरचना है ही नही.उसने बस विवाद से पीछा
> छुडा लिया है.......
-....
> > > लोक श्रुतियां निर्मूल नहीं हैं .- उद्धृत पाठ छिपाएँ -
>
> उद्धृत पाठ दिखाए
> ...
>
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On 19 सित, 20:20, "Pratik Pandey" <prat...@gmail.com> wrote:
> अरविन्द जी, रामायण आदि ग्रंथों में रावण ब्राह्मण के रूप में वर्णित है। जबकि
> राम क्षत्रिय जाति के बतलाए गए हैं। आर्यों की जाति व्यवस्था के हिसाब से रावण
> सबसे ऊपरी सिरे पर आता है, राम से भी पहले। तो फिर मेरे ख़्याल से उसे अनार्य
> मानना ग़लत होगा और शायद इसी लिए राम-रावण युद्ध को आर्य-अनार्य युद्ध के रूप
> में परिभाषित करना भी सही नहीं होगा।
>
> प्रतीक पाण्डेhttp://www.hindiblogs.com/hindiblog/
>
> ...
>
> और पढ़ें »- उद्धृत पाठ छिपाएँ -
>
> उद्धृत पाठ दिखाए
पर्वावरण तथा समुद्री जीवों की सुरक्षा सम्बन्धी आपके विचार सोचनीय हैं।
इसमें इतना और जोड़ना चाहूँगा कि अभी बड़े अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारी
जहाजों तथा युद्धपोतों को श्रीलंका के पार का चक्कर लगाकर हिन्द तट पर
आना होता है। रामसेतु को तोड़कर शार्टकट समुद्री मार्ग के निर्माण से
अन्तर्राष्ट्रीय युद्धपोत तथा पनडुब्बियाँ आदि भी इस मार्ग से आवाजाही
करेंगे। जो देश की सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ा खतरा ही होगा।
हरिराम
On 19 सित, 19:28, arvind mishra <drarvi...@gmail.com> wrote:
> शुक्रिया जाकिर भाई ,आपका कहना सही है पर हर जगह सामान्य नियम नही लागू
> होते ,........फरक्का बाँध बनने से जितना लाभ नही हुआ उससे कहीं कई गुना
हरिराम
On 20 सित, 10:23, zakirlko <zakir...@gmail.com> wrote:
> अरविंद जी, मैं आपके तर्कों से सहमत हूं, पर इस देश में राजनीतिक स्वार्थ
> सबसे पहले देखा जाता है, उसके बाद जनहित। इसके लाखों उदाहरण भरे पडे हैं।
> ..... मेरी समझ से इस पर हम बुद्धिजीवी चाहे जो हो-हल्ला मचालें, सरकार वही
On 19 सित, 20:20, "Pratik Pandey" <prat...@gmail.com> wrote:
> अरविन्द जी, रामायण आदि ग्रंथों में रावण ब्राह्मण के रूप में वर्णित है। जबकि
> राम क्षत्रिय जाति के बतलाए गए हैं। आर्यों की जाति व्यवस्था के हिसाब से रावण
> सबसे ऊपरी सिरे पर आता है, राम से भी पहले। तो फिर मेरे ख़्याल से उसे अनार्य
> मानना ग़लत होगा और शायद इसी लिए राम-रावण युद्ध को आर्य-अनार्य युद्ध के रूप
> में परिभाषित करना भी सही नहीं होगा।
>
> प्रतीक पाण्डेhttp://www.hindiblogs.com/hindiblog/
>
> ...
>
> और पढ़ें »
किसी जाति, प्रान्त, क्षेत्र विशेष से इनको जोड़ना संहति की दृष्टि से
उचित नहीं।
हर जाति, हर क्षेत्र में दोनों प्रकार के लोग होते हैं। नकारात्मक और
सकारात्मक चुम्बकीय आवेशों के मध्य निरन्तर संघर्ष से ही विद्युत धारा
सृजित होती है, संसार चलता है। बिजली के नेगेटिव और पोजिटिव दोनों तार
मिलने से ही बल्ब जलता है। अकेला पोजिटव तार भी कुछ नहीं कर सकता। लेकिन
हाँ, पोजिटिब तार में 220 वोल्ट धारा होनी चाहिए। जबकि नेगेटिव में
मात्र 14 से 20 वोल्ट तक। चूँकि आजकल नेगेटिव शक्तियाँ अधिक शक्तिशाली
हें, यही संसार की समस्त समस्याओं का कारण है। जरूरत है पोजिटिव अर्थात
सकारात्मक शक्तियों को बढ़ाने की।
हरिराम
On 20 सित, 21:00, arvind mishra <drarvi...@gmail.com> wrote:
> पांडेय जी, हम जिन बड़े मिथकीय युद्धों के बारे मे पढते आए हैं ,उनमे
> काफी लंबे समय तक चलने वाला देवासुर संग्राम है,फिर राम रावण युद्ध और
> फिर महाभारत.....की लोक्स्म्रितियां हैं .रावण विद्वान् है
> महापंडित है और शिव का संरक्षण प्राप्त है.....
On 21 सित, 14:26, "जीतू | Jitu" <jitu9...@gmail.com> wrote:
> Kya aapko nahi lagta,
> Bahas mudde se bhatak gayi hai,
>
> Bhai logon wapas ADOMS Bridge ke mudde par lauto
>
> -jitu
>
On 22 सित, 09:43, "GIRIRAJ DUTT HARSH" <gdha...@gmail.com> wrote:
> नमस्कार साथियों
>
> मेरा ये मानना हैं कि यदि राम नहीं हैं तो कृष्ण भी नहीं हैं । क्योंकि कृष्ण
> लीला की बहुत सी कहानियां रामलीला से
> जुडी हुई हैं । और बिना कृष्ण के गीता तो हो ही नहीं सकती ।
> फिर तो भारत का संविधान भी दुबारा लिखना पडेगा जहां गीता की कसम दिलायी जाती
> रही हैं ।
> हे ! कलयूग के देवताओं , भारत की गरीब जनता को इतना मत सताना कि भगवान श्री राम
> को स्वंय आकर अपना प्रमाण देना पडे ।
> यदि ऐसा हो गया तो .................. ।
>
> रावण भी भारत के दक्षिण मे रहता था ओर ................. ।
>
> > > > > महापंडित है और शिव का संरक्षण प्राप्त है.....- उद्धृत पाठ छिपाएँ -
>
> उद्धृत पाठ दिखाए
On 22 सित, 16:37, "Shrish Sharma" <sharma.shr...@gmail.com> wrote:
> *"आप ने कभी यह गौर
> किया है की सारे मिथक-महापुरुष उत्तर भारत मे ही क्यों जन्म लिए ? राम
> क्रिस्न ऊत्तर वासी ही क्यों ?"
> **
> *अरविन्द जी, दक्षिण में भी एक से बढ़कर एक महापुरुष हुए हैं। बात बस ये है कि
> इसके लिए आपको दक्षिण के ग्रंथो को पढ़ना होगा।
>
> आप कैसे भूल रहे हैं कि प्रभु श्रीविष्णु
> ने दक्षिण में ही तिरुपति के रुप में अवतार लिया। संतु तिरुवल्लुवर जैसे महापुरुष
> भी उसी भूमि पर जन्मे। और भी बहुत से होंगे जिनके बारे में वहाँ के निवासियों
> से ही जानकारी मिल सकती है।
>
> ...
>
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