Karthik (8396907239), Aashish ( 9871116763), Kanika (9818823252)
खाना सबको सस्ता दो,
बच्चों को पढाई, बस्ता दो,
बसों को भी रस्ता दो!
साथियों,
केन्द्रीय सड़क शोध संसथान की एक रिपोर्ट के मुताबित बी आर टी में बसों से जाने वाले लोगों की संख्या गाडी में जाने वाले लोगों की संख्या से दो गुनी है, जबकी गाड़ियों की संख्या बसों की संख्या से दस गुनी है. बसें, और उन में जाने वाले लोग हमारे पर्यावरण को कम प्रदूषित करते हैं, बसें ज्यादा सुरक्षित होती हैं, और गाड़ियों के मुकाबले बहुत ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचाती हैं. सड़क पर लोगों को चलने का बराबर हक़ है, और इसलिए सड़क पर उन यातायात को प्राथमिकता मिलनी चाहिए जो ज्यादा लोगों का फायदा पहुंचता है. बी आर टी ने यही किया: सड़क पर बसों को अलग लेन दी, और गाड़ियों में लोगों का आने-जाने में कम समर्थन दिया.
इसी रिपोर्ट के हिसाब से 60% से ज्यादा बस यात्री, लगभग 60% साईकिल यात्री, और 51% पैदल चलने वाले यात्री बी आर टी से या तो बहुत खुश, या खुश थे. इसी तरह का एक सर्वे दिल्ली के सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने किया था जिसमें पाया गया था की बी आर टी पे चलने वालों में से 83% यात्री बसों के लिए अलग रास्ते के नियम से खुश थे, और 88% चाहते थे की बी आर टी को और जगहों पर भी चलाया जाय.
बी आर टी की अलग डेडिकेटेड लेन हटाना ग़रीब लोगों से उनका सड़क पर चलने का हक़ छीनकर अमीर लोगों को देना है. हम आपको इन मुद्दे पर सोचने, सुझाव देने, और अभियान चलाने के लिए बुलाना चाहते हैं, जिससे की अपने आप को गरीबों के प्रति संवेदनशील कहने वाली यह सर्कार को जवाबदेह बनाया जा सके. हम जानते हैं की हम आपको बहुत कम समय दे रहे हैं, मगर हम आपकोरविवार, 29 मार्च 2015 को शाम को छह बजे B1/15, हौज़ खास, नई दिल्ली पर आमंत्रित करना चाहते हैं (गूगल मैप का पिन यहाँ है). हम आपके लिए चाय-नाश्ता रखेंगे.
कुछ चीज़ों जो करी जा सकती हैं उन में अख़बारों में लिखना, नए नारे बनाना, पोस्टर लगाना, बसों में जाकर लोगों को इस फैसले के बारे में बताना, बी आर टी कॉरिडोर में बसों के रास्ते में गाड़ियों को आने से रोकना शामिल है. हमें यह भी लगता है की यह दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और प्रदूषण के मुद्दों को उठाने का अच्छा मौका है.