जागृत आदिवासी दलित संगठन
बडवानी
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आदिवासिओं को मारने वाले गुंडों को पुलिस बचा रही है—पाटी थाना पर आरोप .जिला पुलिस मौन
“इस बिकाऊ थाने की कीमत क्या है? हम भी चंदा कर के खरीदेंगे” .
यह तीखा सवाल था आज पाटी थाने के सामने धरना दे रहे जागृत आदिवासी दलित संगठन से जुड़े आदिवासिओं का . आक्रोश जताते हुए आन्दोलनकारी आदिवासिओं ने कहा कि पुलिस आदिवासिओं पर अत्याचार करने वालों गुंडों को बचा रही है, इसलिए हम आदिवासी महिला-पुरुष और बच्चों को ही गिरफ्तार करें. “हक् नहीं तो जेल सही” और “बिकाऊ पुलिस शर्म करो, गुंडों को बचाना बंद करो” के नारे से पाटी गूँज उठा.
पिछले महीने गंधावल में अवैध शराब बिक्री और अवैध साहूकारी करने वाले गणपत मालवीय कलाल, उसके बेटे और अन्य सहयोगिओं ने गाँव के आदिवासी किलान्ग्या पिता नारू को बीच बाज़ार में पीटते, घसीटते अपने दुकान पर ले गए, जहाँ उसे बुरी तरह से चाक़ू और लात घूसों से मारा और उससे साड़े नौ हज़ार रूपए छीना. किलान्ग्या को छुडवाने की कोशिश करने वाले एक अन्य आदिवासी, कुंवर सिंह, को भी बुरी तरह से मारा. इस से पहले २३००/रु के उधारी के बदले गणपत कलाल किलान्ग्या से ४०००/रु वसूल कर चुका था.
अत्याचार के इस घटना का गाँव के आदिवासिओं के तुरंत पुलिस में रिपोर्ट किया था, पर गणपत और उसके सहयोगिओं को बचाने के प्रयास में पाटी थाने के प्रभारी श्री अमित भाभर केस हल्का कर दिया. प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज करने में कई बातें छोड़ डी गयी, अत्याचार निवारण अधिनियम और चाक़ू से चोट संबंधित धाराओं को जानबूजकर नहीं लगाये गए और उल्टा पीड़ित आदिवासिओं पर ही केस दर्ज किया गया. श्री भाभर लगातार पीड़ितों पर समझौता करने का दबाव डाल रहें हैं. इस मामले में पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत करने पर धाराएं बढ़ाई गयी लेकिन कमज़ोर केस बनने के कारण दो आरोपियों को तत्काल जमानत मिल गयी . तीन हमलेवारों की आज तक गिरफ्तारी ही नहीं हुई है.
आंदोलनकारियों ने पाटी थाना प्रभारी श्री भाभर पर दण्डात्मक कार्यवाही की मांग के साथ आरोपियों पर सही कार्यवाही और पीड़ितों पर झूठे केस से प्रताड़ित करने पर रोक की मांग की. उन्होंने कहा कि ‘अजाक’ थाने के डी.एस.पी श्री मंडलोई कानूनानुसार आदिवासिओं को न्याय दिलवाने के बदले आरोपियों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहें हैं.
आन्दोलनकारी आदिवासिओं ने कहा कि गंधावल में गणपत कलाल, लक्ष्मण कलाल व कई अन्य व्यापारिओं द्वारा अवैध शराब की बिक्री के बारे में वे कई बार पुलिस को शिकायत कर चुके हैं. परन्तु पुलिस शराब विक्रेताओं से “हफ्ता” लेती है और इसलिए उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. पिछले साल शराब बिक्री पर आपत्ति करने वाली ग्राम सिंधी की महिलाओं पर कलालों और पुलिस ने मिल कर झूटा केस में गिरफ्तार किया था.
थाने पर उपस्थित अतरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री फूल सिंह मीणा ने अदिवासी की मांग पर सही करवाई का आश्वासन दिया तथा अवेध दारू की बिक्री पर भी करवाई करने की बात कही. आदिवासीयों ने उन्हें बताया की पीडितों पर झूठा केस न हटने पर सारे आदिवासी अपनी ग्रिफ्तारी देंगे. श्री मीणा ने कलालो पर केस को जानबुज कर हलका करने की जाच कर दोषी पुलिस पर करवाई करने का भी अश्स्वान दिया . अदावासियो ने चेतावनी दी की हम थाना को चोरों और दलालो के हवाले नहीं होने देंगा. "देशभक्ति और जनसेवा" के नारे को साकार करते हुआ हम थाने को बिकाऊ पुलिस ओर गुंडा से मुक्त कराने के लिय आन्दोलन करंगा. भारी बर्षा से रास्ता बंद होने के बाबजूद किसी तरह लगभग १००० आदवासीयो ने पाटी में रैली थाने के सामने धरने में शामिल हुआ. संगठन के कार्यकर्ता ने पुलिस प्रशासन को चेतावनी दी की एक हफ्ते के अंदर मांगे नहीं पूरा होने पर बरा आन्दोलन करेंग. नर्मदा बचाओ आन्दोलन के देवराम भाई और अन्य सदस्य भी आन्दोलन मे सक्रिय रूप से शामिल हुए
वालसिंह सस्ते, नासरी बाई निंग्वाल, हरसिंह जमरे, माधुरी