प्रकाशनार्थ: बहुजन साहित्य की सैद्धांतिकी

14 views
Skip to first unread message

JanVikalp

unread,
Feb 10, 2025, 3:18:51 AMFeb 10
to JanVikalp
बहुजन साहित्य की अवधारणा जनवादी, प्रगतिशील और दलित साहित्य जैसी अवधारणाओं के विरुद्ध कतई नहीं खड़ी है, बल्कि यह इन वैचारिकियों का विस्तार है। यह जनवादी साहित्य का विस्तार है। यह जनवादी साहित्य को भारतीय मंतव्यों से जोड़ती है ओर दलित साहित्य को एक सुचिंतित विश्व दृष्टि और दार्शनिक आधार देती है, जिससे वह सभी वंचित समुदायों से जुड़ सके।
पूरा लेख यहां पढें: 

https://docs.google.com/document/d/1exrWYePnhJl5s6mnkxCJn5-w5yJxKB-GzoHW7I9fEC0/edit?usp=sharing
Reply all
Reply to author
Forward
0 new messages