मैं अपने लेख "सिमोन का सवाल: क्या हर स्त्री मां बनना चाहती है?" को प्रकाशन हेतु प्रस्तुत कर रही हूं। यह लेख विश्व प्रसिद्ध फ्रेंच विचारक सिमोन द बोउवार के मातृत्व संबंधी विचारों पर केंद्रित है, जो उनकी महत्वपूर्ण कृति द सेकेंड सेक्स पर आधारित है। लेख में यह विश्लेषण किया गया है कि कैसे मातृत्व को एक स्त्री की अनिवार्य नियति मान लिया गया है और इस सामाजिक संरचना का उसके अस्तित्व, स्वतंत्रता और मानसिकता पर क्या प्रभाव पड़ता है।
सिमोन द बोउवार के स्त्रीवादी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, इस लेख में मातृत्व के जैविक, सामाजिक, मानसिक और अस्तित्वगत पहलुओं की समीक्षा की गई है। लेख इस विचार को चुनौती देता है कि क्या हर स्त्री के लिए मां बनना आवश्यक है, या यह केवल समाज द्वारा थोपी गई एक भूमिका है। मुझे विश्वास है कि यह लेख आपके पाठकों के लिए विचारोत्तेजक और प्रासंगिक होगा।
सादर,
उर्मिला चौहान
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