गाजियाबाद । नोएडा एक्सटेंशन को लेकर हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के
बाद एनसीआर प्लानिंग बोर्ड भी एलर्ट हो गया है। कहीं कोई बड़ी चूक न हो
जाए, इस आशंका को ध्यान में रखकर अब एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की टीमें बड़ी-
बड़ी विकास परियोजनाओं की फाइलों को खंगालेंगी। इतना ही नहीं, जमीन
अधिग्रहण के प्रस्तावों का बारीकी से अध्ययन भी किया जाएगा। खासकर जीडीए,
नगर निगम और आवास-विकास परिषद की प्लानिंग पर कड़ी निगरानी की जाएगी।
यही वजह है कि शासन ने एनसीआर प्लानिग बोर्ड के चीफ को-ऑर्डिनेटर का
अतिरिक्त चार्ज प्रदेश के मुख्य नगर नियोजक एनआर वर्मा को दिया है।
हालांकि बड़ी विकास योजनाओं का खाका एनसीआर प्लानिंग बोर्ड द्वारा ही
तैयार किया जाता है, लेकिन कई बार प्राधिकरण व आवास-विकास परिषद के अफसर
अपने स्तर से उसमें बदलाव कर देते हैं। नोएडा एक्सटेंशन के लिए एक्वायर
की गई जमीन को लेकर भी यही हुआ है।
लैंड चूज चेंज किए बिना ही अर्जेंसी क्लॉज लगा दी। जीडीए के टाउन प्लानर
एससी गौड़ का कहना है कि मास्टर प्लान तैयार करते समय एक एक चीज क्लीयर
की जाती है। मसलन कहां ग्रीन बैल्ट होगी, कहां पर आवासीय क्षेत्र होगा,
कहां मास्टर प्लान रोड होंगे। कृषि योग्य जमीन को भी अलग से चिन्हित किया
जाता है। फिर भी किसी बड़ी योजना के लिए यदि जमीन का अधिग्रहण करना पड़
जाए तो उसकी परमीशन एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से लिया जाना अनिवार्य है। इसी
के चलते इन दिनों एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में जमीन
अधिग्रहण से जुड़ी फाइलों को खंगाला जा रहा है। किसानों द्वारा किए जा
रहे विरोध से जुड़े प्रस्तावों पर अलग जांच-पड़ताल की जा रही है। इनमें
जीडीए की मधुबन-बापूधाम, इंदिरापुरम फेस टू, कोयल एक्कलेव योजना भी शामिल
है।
हाईटेक सिटी और इन्टीग्रेटिड सिटी की अड़चनों का भी अध्ययन किया जा रहा
है। जीडीए, आवास-विकास परिषद और यूपीएसआईडीसी की प्रस्तावित परियोजनाओं
का भी तकनीकी सर्वे कराया जा रहा है। रीजनल प्लान-२०३१ तैयार करने के लिए
अतिरिक्त अधिकारियों की टीमें लगाई गई है।
Source : नईदुनिया.कॉम
On Nov 8, 10:03 am, Harpreet Singh Guller <harpreetsg.de...@gmail.com>
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