बिसरख गांव के किसानों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय जाने का इरादा टालने के
बाद नोएडा एक्सटेंशन के कई और गांव समझौता करने का मन बना रहे है।
एक्सटेंशन के बिसरख, रोजा, इतेड़ा, हेबतपुर, पतवाड़ी गांव की जमीन पर
आवासीय परियोजनाओं का निर्माण काम चल रहा है।
पतवाड़ी के बाद बिसरख गांव के किसान समझौते के लिए तैयार है और अब
इतेड़ा, हेबतपुर और रोजा- याकूबपुर गांव के किसान भी समझौता करने का मन
बना रहे है। इसके लिए इन गांवों के किसान मंगलवार को ग्रेटर नोएडा
प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमा रमण से बात भी करेंगे। इन गांव
के किसान भी बिसरख गांव के किसानों की शर्तो पर समझौता कर सकते है।
किसानों के साथ समझौता होने पर प्राधिकरण, बिल्डर और निवेशकों को बड़ी
राहत मिल सकती है। दिलचस्प है कि समझौता होने पर करीब 2.25 लाख घरों के
बनने का रास्ता साफ हो सकता है। इनमें से करीब 1 लाख घरों की बुकिंग हो
चुकी है। साथ ही इसके चलते बिल्डरों को नई आवासीय परियोजनाएं लांच करने
का मौका भी मिल सकता है। इतेड़ा गांव के प्रधान रुपचंद गौतम ने बिजनेस
स्डैंडर्ड को बताया कि इतेड़ा गांव के किसान शर्तों के साथ समझौता करने
का मन बना रहे है। इसलिए मंगलवार को किसान प्राधिकरण के सीईओ से वार्ता
करेंगे। उनका कहना है कि प्राधिकरण द्वारा शर्तें मानने पर किसान समझौता
कर सकते हैं।
रोजा गांव के प्रधान अजय नागर को भी लगता है कि प्राधिकरण द्वारा किसानों
की शर्ते मानने पर समझौता हो सकता है। वहीं किसान संघर्ष समिति के संयोजक
मनवीर भाटी बताते हैं कि मंगलवार को इतेड़ा, हेबतपुर गंाव के किसान
प्राधिकरण से वार्ता करने वाले है। भाटी के अनुसार रोजा गांव के किसान भी
इस संबंध में बातचीत कर सकते है।
किसानों ने आबादी वाली जमीन यथास्थिति के अनुरूप लौटाने , बचे हुए
किसानों की आबादी वाली समस्याएं सुलझाने,10 फीसदी विकसित भूमि छोटे-छोटे
भूखंडों में देने और लीज बैक की शर्ते हटाने की मांग की है। इन मांगों पर
प्राधिकरण द्वारा सहमति जताने के बाद बिसरख गांव के किसान समझौता करने का
तैयार हो गए है। पतवाड़ी गांव इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ताजा फैसले से
पहले ही प्राधिकरण से समझौता कर चुका है।
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