रुक सकता है फ्लैटों का काम

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Harpreet Singh Guller

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Nov 4, 2011, 12:22:19 AM11/4/11
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रुक सकता है फ्लैटों का काम
4 Nov 2011, 0400 hrs IST

आशीष दुबे ॥ नोएडा

नोएडा एक्सटेंशन समेत ग्रेटर नोएडा के इलाकों में हाई कोर्ट के फैसले के
बाद बंद हुए ग्रुप हाउसिंग और बिल्डर फ्लैटों का काम बंद होने का असर
नोएडा में होने के आसार बन गए हैं। पूरे शहर में दर्जन भर सेक्टरों में
बड़े पैमाने पर हो रहे बिल्डर फ्लैटों का निर्माण जिस जगह पर हो रहा है ,
वहां की जमीन का लैंडयूज चेंज कर इसे बिल्डरों को अलॉट कर दिया गया।
जिसकी एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से मंजूरी के बारे में अथॉरिटी के अधिकारी
साफ बोलने को तैयार नहीं हैं। उधर , 1997 से बाद में जमीन देने वाले
किसानों की चेयरमैन से गुरुवार को प्रस्तावित बैठक नहीं हुई। चेयरमैन
ऑफिस की तरफ से इस मामले पर चर्चा करने के लिए नव नियुक्त सीईओ से
मुलाकात करने को कहा। 16 गांवों के किसानों की तरफ से सोमवार को सुप्रीम
कोर्ट में रिट दायर की जाएगी। अपनी रणनीति तय करने के लिए किसानों की तरफ
से शुक्रवार को सेक्टर - 51 में बैठक बुलाई गई है।

अथॉरिटी से मिली जानकारी के अनुसार 2005-06 में सेक्टर - 74, 75, 76, 77,
78, 79 आदि इलाकों को स्पोर्ट्स सिटी के अलावा अन्य सुविधाओं के लिए
डिवेलप करने के लिए रिजर्व रखा गया था। जिसे 2008 में लैंडयूज चेंज कर
बिल्डर और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को दे दिया गया था। इन सेक्टरों में
हजारों की संख्या में हाई राइज बिल्डिंगें बनाई जा रही हैं। दिल्ली
एनसीआर आदि इलाकों के ज्यादातर बड़े बिल्डरों के प्रोजेक्ट यहां चल रहे
हैं। सेक्टर -74 स्थित सोहरखा ग्राम प्रधान नरेश यादव ने बताया कि हाई
कोर्ट के निर्णय में लैंड यूज चेंज कर बगैर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की
मंजूरी के बनने वाले प्रोजेक्टों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। जिसके
चलते नोएडा एक्सटेंशन की तर्ज पर यहां भी बिल्डर प्रोजेक्टों का काम
रुकना चाहिए। उन्होंने बताया कि अथॉरिटी के आला अधिकारी इस मुद्दे पर साफ
कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। हाई कोर्ट के निर्णय के चलते अब किसान खुद
ऐसी बिल्डर साइटों का काम रोकेंगे। वहीं हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। सोमवार को सुप्रीम
कोर्ट में रिट दायर की जाएगी। इस पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को सभी
गांवों के प्रधानों की बैठक बुलाई गई है। अथॉरिटी के एक आला अधिकारी ने
नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 400 पेज के जजमेंट का अध्ययन किया जा
रहा है। अध्ययन पूरा होने के बाद ही अथॉरिटी अपना रुख स्पष्ट करेगी।

http://navbharattimes.indiatimes.com/delhiarticleshow/10598515.cms

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