गांवों में कैंप लगाकर मुआवजा बांटने की मुहिम में प्राधिकरण के लिए पहले
दिन की शुरुआत अच्छी नहीं रही। जब अधिकारी गांव में मुआवजा वितरण के लिए
कागजात जमा करने पहुंचे तो बिसरख, रोजा याकूबपुर, इटैड़ा, हैबतपुर, और
ऐमनाबाद वालों ने साफ कहा कि पहले आबादी और प्लाट का पत्र दें, इसके बाद
ही मुआवजे की बात होगी।
खाली हाथ अधिकारी लौट आए और किसानों के गुस्से की जानकारी वरिष्ठ अफसरों
तक पहुंची। इसके बाद सीसीईओ रमा रमन ने किसानों को बुलाया और उनको समझाया
कि वह जैसा चाहते हैं, वैसा ही होगा। इस पर किसान मान गए और प्राधिकरण के
अभियान का समर्थन किया है। किसानों को समझाने में प्राधिकरण को तीन घंटे
लग गए।
दरअसल, किसानों ने प्राधिकरण के समक्ष तर्क रखा कि वह मुआवजा बाद में
लेंगे। पहले किसानों को आबादी और प्लाट का पत्र चाहिए। इसके बाद ही बात
बनेगी। इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बिंदु पर सहमति बनी है कि पहले यह
कहा गया था कि किसान अपनी आबादी का भी मुआवजा उठाएंगे, बाद में उसे
प्राधिकरण को वापस किया जाएगा। इसके बाद प्राधिकरण किसानों को बैक लीज
करेगा।
किसानों ने साफ कहा कि वह आबादी का मुआवजा क्यों उठाएं, इस पर प्राधिकरण
सहमत हो गया है। इसके अतिरिक्त जिन किसानों के साथ आबादी लाभ के लिए
कमेटी की बैठक नहीं हो सकी है, उसके लिए रविवार को बैठक होगी। जिसमें
आबादी के मामले निस्तारित किए जाएंगे। प्राधिकरण और किसानों की बैठक के
दौरान यह जानकारी हुई कि 16 जून 2002 को प्राधिकरण ने केपी -5 के प्लाट
नंबर 20 को डिग्री कॉलेज के लिए आरक्षित कर रखा था। लेकिन उसका लैंड यूज
बदलकर किसी और के लिए उपयोग कर लिया गया।
प्राधिकरण ने किसानों को आश्वासन दिया है कि जमीन की तलाश करके उसके
आसपास ही डिग्री कॉलेज बनाया जाएगा। किसान संघर्ष समिति के नेता मनवीर
भाटी ने बताया भूमिहीनों के लिए प्लाट के लिए प्राधिकरण ने सरकार को लिखा
है। जैसे ही अनुमति मिलेगी, प्राधिकरण उनको भी 120 वर्ग मीटर का प्लाट दे
देगा।
http://www.amarujala.com/National/First-plot-than-Compensation-18218.html
अमर उजाला ब्यूरो