अब हम 100 हो गए हैं!

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रावेंद्रकुमार रवि

नहीं पढ़ी गई,
22 जून 2010, 11:05:51 am22/6/10
ईमेल पाने वाला Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
इस समूह के सदस्यों की संख्या अब सौ हो गई है!
--
समूह के सभी साथियों को बधाई!

Anunad Singh

नहीं पढ़ी गई,
22 जून 2010, 11:14:47 am22/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
सबको बधाई !

आइये इस समूह को और जीवंत बनायें। खूब प्रश्न करें। जितना जानते हैं उतना उत्तर अवश्य दें। पूछे, बताएँ। सोछें कि हम हिन्दी के लिये कौन सा काम कर सकते हैं। हिन्दी के उपकरण (प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर) खोजें। अच्छे उपकरण सुझाएँ। यदि आपको किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता है तो अपनी आवश्यकता से इस समूह को अवश्य अवगत कराएं।

आइये हम सब मिलकर प्रयत्न करें कि हिन्दी में औजारों की कमी न हो , सामग्री (कन्टेन्ट) की कमी न रह जाय।

-- अनुनाद सिंह

====================================
२२ जून २०१० ८:३५ PM को, रावेंद्रकुमार रवि <raavend...@gmail.com> ने लिखा:

ePandit | ई-पण्डित

नहीं पढ़ी गई,
22 जून 2010, 12:39:02 pm22/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
सब सदस्यों को शुभकामनायें, ईश्वर करे यह समूह निरंतर हिन्दी हेतु सार्थक कार्य करता रहे।

२२ जून २०१० ८:४४ PM को, Anunad Singh <anu...@gmail.com> ने लिखा:
--
आपको यह संदेश इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि आपने Google समूह "Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.
इस समूह में पोस्ट करने के लिए, technic...@googlegroups.com को ईमेल भेजें.
इस समूह से सदस्यता समाप्त करने के लिए, technical-hin...@googlegroups.com को ईमेल करें.
और विकल्पों के लिए, http://groups.google.com/group/technical-hindi?hl=hi पर इस समूह पर जाएं.



--
Shrish Benjwal Sharma (श्रीश बेंजवाल शर्मा)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
If u can't beat them, join them.

ePandit: http://epandit.shrish.in/

सुमितकुमार ओम कटारिया

नहीं पढ़ी गई,
24 जून 2010, 10:27:27 am24/6/10
ईमेल पाने वाला Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
नारायणजी,
आप इस समूह के उद्देश्य में "भाषा संसाधन" को क्यों नहीं जोड़ देते?

On 22 जून, 20:14, Anunad Singh <anu...@gmail.com> wrote:
> सबको बधाई !
>
> आइये इस समूह को और जीवंत बनायें। खूब प्रश्न करें। जितना जानते हैं उतना उत्तर
> अवश्य दें। पूछे, बताएँ। सोछें कि हम हिन्दी के लिये कौन सा काम कर सकते हैं।
> हिन्दी के उपकरण (प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर) खोजें। अच्छे उपकरण सुझाएँ। यदि आपको
> किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता है तो अपनी आवश्यकता से इस समूह को अवश्य अवगत
> कराएं।
>
> आइये हम सब मिलकर प्रयत्न करें कि हिन्दी में औजारों की कमी न हो , सामग्री
> (कन्टेन्ट) की कमी न रह जाय।
>
> -- अनुनाद सिंह
>
> ====================================

> २२ जून २०१० ८:३५ PM को, रावेंद्रकुमार रवि <raavendra.r...@gmail.com> ने

narayan prasad

नहीं पढ़ी गई,
24 जून 2010, 1:30:57 pm24/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com

<< आप इस समूह के उद्देश्य में "भाषा संसाधन" को क्यों नहीं जोड़ देते? >>

आपका सुझाव मेरी समझ में नहीं आया । इस समूह के उद्देश्य में "भाषा संसाधन" (language resources) जोड़ने
से आपका क्या तात्पर्य है ?

---नारायण प्रसाद


2010/6/24 सुमितकुमार ओम कटारिया <katar...@gmail.com>

रावेंद्रकुमार रवि

नहीं पढ़ी गई,
24 जून 2010, 1:50:04 pm24/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
हाँ, यह बात सचमुच समझ में नहीं आई!

--
शुभकामनाओं के साथ -
आपका -
रावेंद्रकुमार रवि (संपादक : सरस पायस)

डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"

नहीं पढ़ी गई,
24 जून 2010, 8:47:23 pm24/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com


"स्थाई" या "स्थायी" में से
 
कौन सा शब्द उपयुक्त और शुद्ध होगा?




--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
फोनः05943-250207, 09368499921, 09997996437
http://uchcharan.blogspot.com/

Shashi Bhushan

नहीं पढ़ी गई,
25 जून 2010, 2:39:57 am25/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
हिन्दी में चाणक्या फोंट में इंसक्रिप्ट की बोर्ड की मदद से कैसे लिखा जा सकता है। क्या इसके लिए कोई उपकरण उपलब्ध है।

2010/6/25 डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" <roopchand...@gmail.com>

Shishupal Prajapati

नहीं पढ़ी गई,
25 जून 2010, 2:43:54 am25/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
"स्थायी"

With Best Regards

Shishupal 'शिशु'
Mobile - 9910914411
Please consider the environment before printing this e-mail


2010/6/25 Shashi Bhushan <bhusha...@gmail.com>
"स्थायी"

sachin yadav

नहीं पढ़ी गई,
25 जून 2010, 2:59:54 am25/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
आप स्थायी पता है।


--

narayan prasad

नहीं पढ़ी गई,
25 जून 2010, 5:38:55 am25/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
स्थायी/ स्थाई, उत्तरदायी/ उत्तरदाई, अनुयायी/ अनुयाई, विषपायी/ विषपाई आदि में कौन सी वर्तनी ठीक है ?
 
उपर्युक्त तत्सम शब्द आकारान्त धातु "स्था", "दा", "या", "पा" से  बने हैं जिनमें पाणिनि सूत्र "आतो युक् चिण्कृतोः ॥७.३.३३॥" के अनुसार यकार का आगम होता है । अतः स्थायी/ स्थाई, उत्तरदायी/ उत्तरदाई, अनुयायी/ अनुयाई, विषपायी/ विषपाई  आदि में यकार सहित रूप सही हैं - स्थायी, उत्तरदायी, अनुयायी, विषपायी आदि ।
 

डॉ॰ भोलानाथ तिवारी के अनुसार ["हिन्दी वर्तनी की समस्याएँ" (1983:81)]:


जिन शब्दों की शब्द-रचना में 'य' है उनमें ‘यी’ के स्थान पर ‘ई’ का प्रयोग नहीं हो सकता । उदाहरणार्थ न्यायी, अन्यायी, आततायी, अनुयायी, उत्तरदायी, फलदायी, वरदायी, विषपायी, विषयी जैसे शब्दों में ‘यी’ ही रहेगा, उसके स्थान पर ‘ई’ का प्रयोग नहीं किया जा सकता ।
 

---नारायण प्रसाद

 

2010/6/25 डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" <roopchand...@gmail.com>

सुमितकुमार ओम कटारिया

नहीं पढ़ी गई,
25 जून 2010, 11:19:54 pm25/6/10
ईमेल पाने वाला Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
ग़लती हुई। भाषा संसाधन से मेरा मतलब "लैंग्वेज प्रोसेसिंग" था। आप,
अनुनादजी वग़ैरा फ़ॉन्ट परिवर्तित्र और देवनागरी से मुताल्लिक़ दूसरे
प्रोग्रामों पर काफ़ी काम करते हैं, इसलिए।

On 24 जून, 22:30, narayan prasad <hin...@gmail.com> wrote:
> << आप इस समूह के उद्देश्य में "भाषा संसाधन" को क्यों नहीं जोड़ देते? >>
>
> आपका सुझाव मेरी समझ में नहीं आया । इस समूह के उद्देश्य में "भाषा संसाधन"
> (language resources) जोड़ने
> से आपका क्या तात्पर्य है ?
>
> ---नारायण प्रसाद
>

> 2010/6/24 सुमितकुमार ओम कटारिया <kataria...@gmail.com>

रावेंद्रकुमार रवि

नहीं पढ़ी गई,
26 जून 2010, 1:05:32 am26/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
सुमितकुमार ओम कटारिया जी कहते हैं -

भाषा संसाधन से मेरा मतलब "लैंग्वेज प्रोसेसिंग" था।
--
भारतीय हिंदी भाषियों की यह बहुत गंभीर समस्या है कि
वे हिंदी शब्दों का मतलब अँगरेज़ी अनुवाद करके ही बताते हैं!
--
क्या अँगरेज़ी अनुवाद कर देना ही मतलब बताना होता है?
--
क्या एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद कर देना ही मतलब बताना होता है?
--
बिल्ली से मेरा मतलब कैट से था!

V S Rawat

नहीं पढ़ी गई,
26 जून 2010, 1:44:44 am26/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
On 6/26/2010 10:35 AM India Time, _रावेंद्रकुमार रवि_ wrote:

> सुमितकुमार ओम कटारिया जी कहते हैं -
> भाषा संसाधन से मेरा मतलब "लैंग्वेज प्रोसेसिंग" था।

ये तो उस वाक्यांश का उनका अभिप्राय हुआ।

परंतु यह अनुवाद सटीक नहीं बैठ रहा है।

संसाधन resource होता है और इसको Human Resources आदि मानव संसाधनों जैसे शब्दों
में व्यापक रूप से प्रयोग किया जा रहा है।

Processing प्रक्रियाकरण या प्रसंस्करण होता है। जैसे Deta processing.

भाषा तो लैंग्वेज हुई परंतु संसाधन से उनका मतलब प्रोसेसिंग कैसे हुआ?

--
रावत

ePandit | ई-पण्डित

नहीं पढ़ी गई,
27 जून 2010, 7:32:54 am27/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com


२५ जून २०१० ६:१७ AM को, डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" <roopchand...@gmail.com> ने लिखा:



"स्थाई" या "स्थायी" में से
 
कौन सा शब्द उपयुक्त और शुद्ध होगा?

'स्थायी' शुद्ध देवनागरी वर्तनी है। 'स्थाई' आधुनिक हिन्दी की वर्तनी है। व्याकरण की दृष्टि से दोनों ठीक हैं। शुद्धतावादी 'स्थायी' को ज्यादा पसन्द करेंगे जबकि मानकीकरणवादी 'स्थाई' को।

यह बात इस तरह के सभी शब्दों पर लागू होती है जैसे गयी/गई, आये/आए आदि।
 




--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
फोनः05943-250207, 09368499921, 09997996437
http://uchcharan.blogspot.com/
--
आपको यह संदेश इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि आपने Google समूह "Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.
इस समूह में पोस्ट करने के लिए, technic...@googlegroups.com को ईमेल भेजें.
इस समूह से सदस्यता समाप्त करने के लिए, technical-hin...@googlegroups.com को ईमेल करें.
और विकल्पों के लिए, http://groups.google.com/group/technical-hindi?hl=hi पर इस समूह पर जाएं.

डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"

नहीं पढ़ी गई,
27 जून 2010, 7:41:02 am27/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
इस मानकीकरण ने ही तो सब कुछ सत्यानाश किया है!
मैसेज मिटा दिया गया है

Suyash Suprabh

नहीं पढ़ी गई,
27 जून 2010, 8:14:14 am27/6/10
ईमेल पाने वाला Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
नमस्ते श्रीश जी,

कृपया मानक हिंदी वर्तनी के निम्नलिखित नियम देखें :

"2.13 श्रुतिमूलक 'य', 'व'

2.13.1 जहाँ श्रुतिमूलक य, व का प्रयोग विकल्प से होता है वहाँ न किया
जाए, अर्थात् किए : किये, नई : नयी, हुआ : हुवा आदि में से पहले
(स्वरात्मक) रूपों का प्रयोग किया जाए। यह नियम क्रिया, विशेषण, अव्यय
आदि सभी रूपों और स्थितियों में लागू माना जाए। जैसे :– दिखाए गए, राम
के
लिए, पुस्तक लिए हुए, नई दिल्ली आदि।

2.13.2 जहाँ 'य' श्रुतिमूलक व्याकरणिक परिवर्तन न होकर शब्द का ही मूल
तत्व हो वहाँ वैकल्पिक श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन करने की आवश्‍यकता
नहीं है। जैसे :– स्थायी, अव्ययीभाव, दायित्व आदि (अर्थात् यहाँ स्थाई,
अव्यईभाव, दाइत्व नहीं लिखा जाएगा)।"

लिंक : http://tinyurl.com/2epfqvn

उपर्युक्त नियमों में 'किए : किये', 'नई : नयी' आदि शब्दों और 'स्थायी'
शब्द का उल्लेख भिन्न व्याकरणिक संदर्भों में हुआ है।

सादर,

सुयश
9811711884

ब्लॉग : http://anuvaadkiduniya.blogspot.com

On Jun 27, 4:32 pm, ePandit | ई-पण्डित <sharma.shr...@gmail.com>
wrote:


> २५ जून २०१० ६:१७ AM को, डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" <

> roopchandrashas...@gmail.com> ने लिखा:
>
>
>
> >   *"स्थाई"* या "स्थायी" में से


>
> >>  कौन सा शब्द उपयुक्त और शुद्ध होगा?
>
> 'स्थायी' शुद्ध देवनागरी वर्तनी है। 'स्थाई' आधुनिक हिन्दी की वर्तनी है।
> व्याकरण की दृष्टि से दोनों ठीक हैं। शुद्धतावादी 'स्थायी' को ज्यादा पसन्द
> करेंगे जबकि मानकीकरणवादी 'स्थाई' को।
>
> यह बात इस तरह के सभी शब्दों पर लागू होती है जैसे गयी/गई, आये/आए आदि।
>
>
>
>
>
>
>
> > --
> > डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
> > टनकपुर रोड, खटीमा,
> > ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
> > फोनः05943-250207, 09368499921, 09997996437
> >http://uchcharan.blogspot.com/
>
> > --
> > आपको यह संदेश इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि आपने Google समूह "Scientific and
> > Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.
> > इस समूह में पोस्ट करने के लिए, technic...@googlegroups.com को ईमेल
> > भेजें.
> > इस समूह से सदस्यता समाप्त करने के लिए,

> > technical-hin...@googlegroups.com<technical-hindi%2Bunsubscribe@ googlegroups.com>को ईमेल करें.
> > और विकल्पों के लिए,http://groups.google.com/group/technical-hindi?hl=hiपर इस समूह पर जाएं.

ePandit | ई-पण्डित

नहीं पढ़ी गई,
27 जून 2010, 2:06:17 pm27/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com

२७ जून २०१० ५:०२ PM को, ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com> ने लिखा:


'स्थायी' शुद्ध देवनागरी वर्तनी है। 'स्थाई' आधुनिक हिन्दी की वर्तनी है। व्याकरण की दृष्टि से दोनों ठीक हैं। शुद्धतावादी 'स्थायी' को ज्यादा पसन्द करेंगे जबकि मानकीकरणवादी 'स्थाई' को।

यह बात इस तरह के सभी शब्दों पर लागू होती है जैसे गयी/गई, आये/आए आदि।

अपडेट: नारायण जी का जवाब अभी देखा कि 'य' वाले शब्दों पर ये बात लागू नहीं होती। इसी तरह सुयश जी के उत्तर से भी स्पष्ट है कि जो हम 'स्थाई' का प्रयोग कई जगह देखते हैं, गलत है।

@नारायण जी,

जिन शब्दों की शब्द-रचना में 'य' है उनमें ‘यी’ के स्थान पर ‘ई’ का प्रयोग नहीं हो सकता ।

नारायण जी मुद्रित प्रैस में 'गयी' के स्थान पर 'गई' का प्रयोग बहुतायत देखा जाता है। क्या यह भी एक प्रचलित गलती है?

साथ ही एक अन्य प्रश्न, 'कई' को कहीं भी 'कयी' लिखा नहीं देखा, क्या यहाँ पर सही शब्द 'कई' ही है? ऐसा ही मामला नई/नयी का है।

@नारायण जी,

डॉ॰ भोलानाथ तिवारी के अनुसार ["हिन्दी वर्तनी की समस्याएँ" (1983:81)]:

जिन शब्दों की शब्द-रचना में 'य' है उनमें ‘यी’ के स्थान पर ‘ई’ का प्रयोग नहीं हो सकता । उदाहरणार्थ न्यायी, अन्यायी, आततायी, अनुयायी, उत्तरदायी, फलदायी, वरदायी, विषपायी, विषयी जैसे शब्दों में ‘यी’ ही रहेगा, उसके स्थान पर ‘ई’ का प्रयोग नहीं किया जा सकता ।

 इस नियम तथा सुयश जी द्वारा बताये गये नियम में थोड़ा विरोधाभास का भ्रम हो रहा है, उपरोक्त नियम में शब्द रचना से क्या मतलब है?

२७ जून २०१० ५:४४ PM को, Suyash Suprabh <translate...@gmail.com> ने लिखा:
इस समूह से सदस्यता समाप्त करने के लिए, technical-hin...@googlegroups.com को ईमेल करें.
और विकल्पों के लिए, http://groups.google.com/group/technical-hindi?hl=hi पर इस समूह पर जाएं.

narayan prasad

नहीं पढ़ी गई,
28 जून 2010, 9:13:41 am28/6/10
ईमेल पाने वाला technic...@googlegroups.com
श्रीश जी,
   वर्तनी सम्बन्धी आपके सारे प्रश्नों का विस्तृत विवेचन डॉ॰ भोलानाथ तिवारी की "हिन्दी वर्तनी की समस्याएँ" (1983) में मिल जायगा ।
 
संक्षेप में:
 लिखा/ लिखी, पढ़ा/ पढ़ी, नाचा/ नाची,  मारा/ मारी आदि क्रिया रूपों को देखने से स्पष्ट होता है कि किसी धातु (लिख, पढ़ आदि) में पुँल्लिग भूतकाल एकवचन में "आ" प्रत्यय और उससे स्त्रीलिंग रूप बनाने के लिए "ई" प्रत्यय लगाया जाता है । परन्तु जाना क्रिया से भूतकाल रूप "गया" में उच्चारण सौकर्य के लिए यकार का आगम किया जाता है, क्योंकि "गआ" के उच्चारण में कठिनाई महसूस होगी । यही बात स्त्रीलिंग "गई" के उच्चारण में बिलकुल नहीं, कोई कठिनाई नहीं । अतः इसमें यकार आगम की आवश्यकता नहीं । परन्तु कुछ लोग इस बात पर अड़ जाते हैं कि जब "गया" लिख सकते हैं तो स्त्रीलिंग में "गयी" क्यों नहीं ?

विशेषण शब्द काला/ काली, पुराना/ पुरानी आदि रूपों पर ध्यान दें तो उपर्युक्त तर्क के अनुसार ही "नया" का स्त्रीलिंग रूप "नई" लिखना चाहिए ।


<<जिन शब्दों की शब्द-रचना में 'य' है उनमें ‘यी’ के स्थान पर ‘ई’ का प्रयोग नहीं हो सकता । उदाहरणार्थ न्यायी, अन्यायी, आततायी, अनुयायी, उत्तरदायी, फलदायी, वरदायी, विषपायी, विषयी जैसे शब्दों में ‘यी’ ही रहेगा, उसके स्थान पर ‘ई’ का प्रयोग नहीं किया जा सकता ।>>

<< इस नियम तथा सुयश जी द्वारा बताये गये नियम में थोड़ा विरोधाभास का भ्रम हो रहा है, उपरोक्त नियम में शब्द रचना से क्या मतलब है?>>

विरोधाभास कुछ नहीं है । उपर्युक्त सभी शब्द तत्सम हैं । यहाँ शब्द-रचना से मतलब है - संस्कृत व्याकरण के नियमों के अनुसार इन शब्दों में नित्य यकार आता है, कोई विकल्प नहीं । पूर्व सन्देश में मैंने पाणिनि सूत्र का भी उल्लेख किया है ।


---नारायण प्रसाद

2010/6/27 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com>
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