सही क्‍या है?

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Sanjay Kareer

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Nov 3, 2007, 5:20:47 AM11/3/07
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
नृत्‍य- नर्तक, नर्तकी और नृत्‍यांगना

मैने कई जगह पढ़ा है नृतक, नृतकी
क्‍या यह सही है?
क्‍या नृतक और नृतकी शब्‍दों का इस्‍तेमाल किया जा सकता है?

ज्ञानीजन इस पर प्रकाश डालें.

narayan prasad

unread,
Nov 3, 2007, 9:57:46 PM11/3/07
to technic...@googlegroups.com

नृतक, नृतकी शब्द अशुद्ध हैं, नर्तक, नर्तकी शुद्ध ।

आचार्य पाणिनि ने अपनी विश्व-प्रसिद्ध कृति "अष्टाध्यायी" में शब्द-निर्माण हेतु बहुत संक्षिप्त रूप में (सूत्र रूप में) नियम दिये हैं ।

नर्तक (नर्तकी) शब्द नृत् धातु से बना है, जिसका अर्थ है नाचना । नृत् धातु में -अक प्रत्यय लगाने पर नर्तक शब्द बनता है ।

-अक प्रत्यय परे रहने पर धातु में निम्नलिखित कार्य होते हैं - 
(१) यदि धातु स्वरान्त हो तो अन्तिम इक् (ह्रस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ, लृ ) स्वर की वृद्धि होती है ।

   [ नोटः  नमूने के तौर पर सन्धिकार्य कार्य हेतु निम्नलिखित चार उदाहरणों को ध्यान में रखें -
       ने +  अन = नयन
       पो +  अन = पवन
       नै + अक = नायक
         पौ + अक = पावक ]

यहाँ वृद्धि सामान्य अर्थ में नहीं, बल्कि विशिष्ट अर्थ वाला एक तकनीकी शब्द है । उसी तरह व्याकरण में प्रयुक्त "गुण" शब्द भी एक तकनीकी शब्द है ।
अ, ए, ओ, अर् , अल् -- इन अक्षरों / शब्दांशों की गुण संज्ञा है ।
आ, ऐ, औ, आर् , आल् -- इन अक्षरों / शब्दांशों की वृद्धि संज्ञा है ।

जब यह कहा जाता है कि इक् स्वर की वृद्धि होती है तो इसका मतलब है - इ के स्थान में ऐ,  उ के स्थान में औ,  ऋ के स्थान में आर्  ,  लृ के स्थान में आल् हो जाते हैं ।

उसी तरह जब यह कहा जाता है कि इक् स्वर का गुण होता है तो इसका मतलब है - इ --> ए,   उ --> ओ,  ऋ --> अर् ,   लृ --> अल् ।  यह "-अन" प्रत्यय के सम्बन्ध में पहले ही समझाया जा चुका है ।

 उदाहरण --
  चि + अक = चै अक = चायक ( ==> परि उपसर्ग के साथ --> परिचायक)
    नी + अक = नै अक =  नायक

  द्रु + अक = द्रौ अक =  द्रावक
  पू + अक = पौ अक =  पावक

  कृ + अक = कार् अक =  कारक
  मृ + अक = मार् अक =  मारक
  दृ + अक = दार् अक =  दारक (==> वि उपसर्ग के साथ --> विदारक)
    स्मृ + अक = स्मार् अक =  स्मारक
 
(२) यदि धातु व्यंजनान्त हो तो
  (i) यदि उपधा स्वर "अ" हो तो इसका दीर्घ रूप वृद्धिसंज्ञक "आ" होता है ।
    उदाहरण -
    पठ् + अक = पाठक [ पठ् = प् + अ + ठ् ]
        वद् + अक = वादक
    पच् + अक = पाचक
    वच् + अक = वाचक
    चल् + अक = चालक

 (ii) यदि उपधा स्वर लघु (short)  हो तो इसका गुण  होता है ।
       उदाहरण -
   लिख् + अक = लेखक
   भिद् + अक = भेदक
   छिद् + अक = छेदक
   क्षिप् + अक = क्षेपक
   मुद् + अक = मोदक
   शुध् + अक = शोधक

   नृत् + अक = नर्त् अक = नर्तक
   [ नृत् = न् ऋ त् ; ऋ का गुण होकर --> न् अर् त् --> नर्त् ]
    
     दृश् + अक = दर्शक
      
     आशा है, अब आप अच्छी तरह समझ गये होंगे कि नृतक शब्द अशुद्ध क्यों है और नर्तक शब्द ही ठीक है ।

     प्रश्न - यह बताएँ कि अर्ज् (अर्जन करना, कमाना) से अर्जक शब्द ही बनता है, आर्जक नहीं,  अर्च् (अर्चना या पूजा करना) से अर्चक शब्द ही बनता है, आर्चक नहीं । क्यों ?
 
--- नारायण प्रसाद


2007/11/3, Sanjay Kareer <s.ka...@gmail.com>:
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