वी॰एस॰ रावत जी का सन्देश -
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मयूर दूबे जी का सन्देश -
https://groups.google.com/group/technical-hindi/msg/c2482596f7479877
वी॰एस॰ रावत जी का सन्देश -
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ई-पण्डित (श्रीश बेंजवाल शर्मा) जी का सन्देश -
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काकेश कुमार जी का सन्देश -
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----नारायण प्रसाद
शायद इसी के आधार पर वैदिक काल से हर पूजा के पहले षोड़श मात्रिका का पूजन करने की प्रथा चली आ रही है।
वैदिक स्वर चिह्नों की भी युनिकोड में एनकोडिंग की जा रही है। देखें <http://tdil.mit.gov.in/prop_uni/Vedic.pdf>
देवनागरी 'र' का रहस्य (.. क्रमशः..... अगली कड़ी में).
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स्व = s+w+a = स् (आधे रूप में खड़ी पाई रहित) + व् (आधे रूप में खड़ी पाई रूप में) + अ(खड़ी पाई रूप में) ही टंकित/प्रोसेसिंग करना पड़ता। जैसा कि हिन्दी टाइपराइटर में श्ख् आदि के लिए आज भी किया जाता है।
शायद इसी के आधार पर वैदिक काल से हर पूजा के पहले षोड़श मात्रिका का पूजन करने की प्रथा चली आ रही है।
ऊपर जो आपने सोलह चिह्न गिनवाये हैं उनमें से ऑ तो हिन्दी मे बाद में आया है, फिर उन सोलह चिह्नों का सम्बंध षोडश मात्रिका से कैसे बैठता है?
वैदिक स्वर चिह्नों की भी युनिकोड में एनकोडिंग की जा रही है। देखें <http://tdil.mit.gov.in/prop_uni/Vedic.pdf>
हरिराम जी इनमें स्वस्तिक नहीं है, क्या स्वस्तिक चिह्न को शामिल किये जाने का प्रस्ताव नहीं है? यदि ऐसा है तो बहुत खेद का विषय है क्योंकि ये तो हमारी संस्कृति एक प्रमुख चिह्न है।
देवनागरी 'र' का रहस्य (.. क्रमशः..... अगली कड़ी में).
कृपया एतद् सम्बंधी लेख अपने ब्लॉग पर लिखें ताकि उसका विभिन्न स्थानों पर सन्दर्भ दिया जा सके।