अकेले-अकेले तो हम में से कई कुछ न कुछ लिखते रहते हैं, चलो इस बार कुछ
साथ में मिलकर लिखें, क्या राय है आप सभी की? वैसे कुछ दिनों पहले तो हम
लोगों ने सोचा भी था कुछ साथ में लिखने का, पर पता नहीं उस योजना का
क्या हुआ :) ...खैर उसे छोड़ते हैं और कुछ नया सोचते हैं
मैं ऐसे ही सोच रहा था एक दिन, जीवन के बारे में, तो लगा कि यार है तो ये
सरल, पर हम सभी ने मिलकर थोडा नहीं बड़ा कठिन बना दिया है इसे, तो ऐसा
सोचते सोचते कुछ लिखा गया मुझसे.
मुझे लगता है कि आप लोगों ने भी अपने आस-पास, हमारे समाजों में बहुत कुछ
ऐसा देखा होगा जिसे देखकर आपको लगा होगा कि यार क्या कर के रखा है लोगों
ने...काश ये ऐसा होता..तो अगर आप लोगों ने कभी ऐसा सोचा है...तो इस कविता
को आगे बढाइये....और अगर नहीं भी सोचा है तो थोडा सोचिये...
सरल है जीवन,
क्यों कठिन बनाते हो?
तारों भरा आसमान देखा है कभी?
वो सभी के लिए जगमगाता है,
हर किसी के लिए होता है,
मानो सारी दुनिया की साझी दौलत हो,
विरासत हो,
तुम क्यों,
दुनिया की साझी दौलत को,
अपनी तिजोरी में कैद कर लेना चाहते हो?
सरल है जीवन,
क्यों कठिन बनाते हो?
चलिए चलिए कुछ लिखिए..और जो नहीं लिखते वो भी कोशिश करें ...
-विवेक
-विवेक
On Apr 25, 2:44 pm, Lokesh sadrani <lokeshsadr...@gmail.com> wrote:
> 2009/4/25 vkm <vkme...@gmail.com>