मध्य प्रदेश की वार्षिक
योजना 2008-09 को
अंतिम रुप दिया गया (भारत सरकार से प्राप्त समाचार)
योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोंटेक सिंह आहलूवालिया और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री
श्री शिवराज सिंह चौहान के बीच आज यहां बैठक में मध्यप्रदेश के लिए वर्ष 2008-09 की वार्षिक योजना को मंजूरी
दे दी गयी। बैठक में 14182.61 करोड़ रूपये के योजना परिव्यय पर
सहमति बनी जिसमें राज्य के विशेष हित की परियोजनाओं के लिए एकबार में 150 करोड़ रूपये की अतिरिक्त केद्रीय सहायता भी शामिल है।
राज्य के प्रदर्शन के बारे में अपनी टिप्पणी में श्री आहलूवालिया ने कहा कि मध्य प्रदेश को मानव संसाधन विकास पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। सामाजिक क्षेत्र को वरीयता दिये जाने की जरुरत है तथा निवेश के अनुकूल माहौल बनाने के लिए नीतिगत पहल के साथ मानव विकास सूचकांक में सुधार के विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। राज्य सरकार को विभिन्न सामाजिक क्षेत्र स्कीमों के तहत उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र से संबध्द स्कीमों को वरीयता दी जानी चाहिए।
श्री चौहान ने आयोग को बताया कि विकास नीति के विशेष क्षेत्र भूख एवं कुपोषण निवारण तथा गरीबी कम करने होंगे।
योजना आयोग द्वारा मध्यप्रदेश के लिए 14,182 करोड़ रु. की वार्षिक आयोजना स्वीकृत (म.प्र. सरकार से प्राप्त समाचार)
अहलूवालिया द्वारा मध्यप्रदेश की अनेक योजनाओं की सराहना, मुख्यमंत्री द्वारा बुंदेलखंड में सूखे से निपटने केन्द्रीय सहायता की मांग
योजना आयोग ने मध्यप्रदेश की वर्ष 2008-09 की 14182 करोड़ रुपये की वार्षिक आयोजना का अनुमोदन किया। यह पिछले वर्ष से 18 प्रतिशत अधिक है। वार्षिक आयोजना में अधोसंरचना क्षेत्र के विकास के लिये 52 प्रतिशत, सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिये 32 प्रतिशत तथा अन्य क्षेत्रों के लिये 16 प्रतिशत राशि निर्धारित की गई है। योजना प्रस्ताव में अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के विकास के लिये उनकी जनसंख्या के अनुपात से भी अधिक राशि का प्रावधान किया गया है।
योजना आयोग में आज मध्यप्रदेश की वार्षिक योजना 2008-09 पर चर्चा हुई। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, योजना एवं वित्त मंत्री श्री राघव जी, मध्यप्रदेश योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा. सोमपाल शास्त्री और मुख्य सचिव श्री राकेश साहनी वरिष्ठ अधिकारी चर्चा में सम्मिलित हुए। वार्षिक योजना में 150 करोड़ रूपये एकमुश्त केन्द्रीय सहायता के रूप में प्रदाय की गई। इस राशि में अन्य कार्यों के अलावा ऑंगनवाड़ी भवनों का निर्माण, बायोडायवर्सिटी पार्क की स्थापना, उज्जैन में प्लेनेटोरियम की स्थापना, हायर सैकेण्ड्री स्कूल भवनों के निर्माण, छात्रावास, आश्रमों का सुदृढ़ीकरण आदि कार्य प्राथमिकता के आधार पर लिए जाएंगे। योजना प्रस्ताव में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विकास के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात से भी अधिक राशि का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोन्टेक सिंह अहलूवालिया से आग्रह किया कि मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में भीषण सूखे की स्थिति को देखते हुए केन्द्रीय सहायता दी जाए। मध्यप्रदेश को भी बिहार की तर्ज पर विशेष पैकेज दिया जाए। श्री चौहान ने रेलवे लाइन के निर्माण के लिए शत-प्रतिशत राशि भारत सरकार द्वारा दिये जाने की मांग की। इंदौर और भोपाल हवाई अड़डों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए केन्द्र मदद करे। इंदौर का हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानाेंं के लिए केवल केन्द्र सरकार की अनुमति के लिए रुका हुआ है । योजना आयोग इसके लिए पहल करे। ग्वालियर और जबलपुर के हवाई अड्डों को राष्ट्रीय स्तर का बनाये जाने के लिए भी योजना आयोग सहयोग करे।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोन्टेक सिंह अहलूवालिया ने मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना, दीनदयाल अन्त्योदय उपचार योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने की योजनाओं के संबंध में गहरी रुचि दिखाई और विस्तार से इन योजनाओं के बारे में जानकारी ली तथा सराहना की। सदस्य डा0 सईदा हमीद ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के कन्वर्जन की सराहना की। डा0 हमीद ने बताया कि उन्होंने स्वयं धार और महेश्वर की यात्रा के दौरान चल रहे कार्यों को देखकर प्रशंसा की थी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने योजना आयोग को बताया कि मध्यप्रदेश में 10वीं योजना में अनुमोदित व्यय के मुकाबले 101.2 प्रतिशत व्यय किया है। मध्यप्रदेश में वित्तीय प्रबंधन बेहतर हुआ है। विगत दो वर्षों में बजट में राजस्व सरप्लस रहा है। वर्ष 2005 में पारित एफआरबीएम एक्ट के सभी लक्ष्यों की प्राप्ति की है। उन्होंने बताया कि जहां एक ओर प्रदेश में बिजली की उत्पादन क्षमता को दो गुना से अधिक किया है, वहीं लगभग 40 हजार किलोमीटर लम्बी सड़कों का निर्माण और 9 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन किया है। एनआरईजीएस के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देशभर में लगातार अव्वल रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पूरे देश में सबसे बड़ा वन क्षेत्र हमारे पास है तथा इसको बनाये रखने की भारी कीमत हमें अदा करनी पड़ती है, जबकि हमारी वन सम्पदा का पर्यावरणीय लाभ पूरे देश तथा वैश्विक समुदाय को मिलता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में राष्ट्रीय औसत से ऊपर वनों का क्षेत्र बनाये रखने वाले राज्यों को मुआवजा देने की बात कही गई है। श्री चौहान ने प्रतिवर्ष राज्य को 8,285 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की। उन्होंने राज्य को मिलने वाली कोयले पर रायल्टी की दर को पूर्णत: एड वैलोरम के अनुरुप निर्धारित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में सिंचाई का औसत राष्ट्रीय स्तर से कम है इसलिए ग्रीन फील्ड प्रोजेक्टस को एआईबीपी के तहत स्वीकृति दी जाये और केन्द्र द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर राज्य को वित्त पोषण किया जाये। उन्होंने जल संरक्षण और सिंचाई और जल बचत को बढ़ावा देने के लिये केन्द्रीय अनुदान सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने की मांग की।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मांग की कि उच्च शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े जिलों में उत्कृष्ट कालेज की स्थापना के लिये नई प्रस्तावित केन्द्र प्रवर्तित योजना के तहत केन्द्र सरकार कम से कम कैपिटल कास्ट आफ इंफ्रास्ट्रक्चर का 75 प्रतिशत और न्यूनतम दो पंचवर्षीय योजनाओं तक आवर्ती व्यय का 50 प्रतिशत केन्द्र से अनुदान मिलना चाहिए।