बाल शिक्षा बनाम बाल मजदूरी

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Mahesh

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Sep 2, 2008, 12:02:30 AM9/2/08
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बाल शिक्षा बनाम बाल मजदूरी
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आज सरकार शिक्षा पर जोर दे रही है तथा तरह-तरह के योजनाएं चला रही हैं।
पर उस सरकार को क्या यह वास्तविकता मालूम है कि उनके योजनाओं का कितना
लाभ बच्चों को मिल रहा है। सरकार को यह नहीं मालूम है कि उनके द्वारा
लागु किए गए दोपहर के भोजन का कार्यक्रम की सारी रकम व अनाज स्कूल के
शिक्षकों द्वारा चट कर दिए जाते हैं और बच्चों को भोजन नहीं मिलता है और
यदि कहीं कभी-कभी थोड़ा-बहुत मिल भी जाता है तो वह घटिया किस्म का ही रहता
है। ............ और इस कारण आज सरकारी स्कूल जाने वाले बच्चे-बच्चे
"घोटाला" शब्द से वाकिफ हो गए हैं और वे जानते हैं कि उनके लिए आए अनाज
उनको न मिलकर शिक्षकों के घर पहुँच रहे हैं। ..............

आज सरकार १४ वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने की बात कह रही
है। पर क्या सरकार कभी इस सच्चाई को जानने की कोशिश की कि कितने बच्चे
स्कूल जाते हैं व पढ़ते हैं? शायद सरकार कभी यह जानने की कोशिश नहीं की,
और यदि की तो वह सही तथ्य तक नहीं पहुँच पायी। ........ आज भी ऐसे कितने
बच्चे हैं जो अपनी पढ़ाई के उम्र में पढ़ाई से वंचित होकर अपने पेट पालने
के लिए कहीं किसी के अन्दर काम या नौकरी कर रहे हैं। इस प्रकार के बच्चों
को न तो पढ़ने का मौका मिलता है और न तो खेलने का ही मौका मिलता
है। ................ बच्चो के साथ ऐसी स्थिति सिर्फ गाँव-देहात में ही
नहीं शहर में भी है। जबकि बाल मजदूरी पर कानून ने रोक लगा रखी
है। ............ शहर के होटलों में या अन्य स्थानों में भी ऐसे कितने
बच्चे मिलेंगे जो दिन भर काम करके अपना पेट पालते हैं और न तो वे लिखना-
पढ़ना जानते हैं और न तो जान पाते हैं। उन्हें तो बस दिन भर वहाँ काम
करना है। उनके जीवन में न तो पढ़ाई है, न तो खेल है और न तो उनके विकास
का कोई साधन है। ................... आप सोच सकते हैं कि ऐसे बच्चों का
भविष्य क्या होगा? ..............

सरकार को सिर्फ घोषणाएं करने व कार्यक्रम तैयार करने से नहीं
होगा .................. बल्कि हर बच्चे को उचित समय पर उचित शिक्षा व
उचित वातावरण सुनिश्चित कराना होगा। हमें बच्चे के प्रतिभा को कुंठित
नहीं होने देना चाहिए बल्कि प्रतिभा को जगाना चाहिए।

--- महेश कुमार वर्मा
०२.०९.२००८

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E-mail ID : vermam...@gmail.com

vijayraj chauhan

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Sep 4, 2008, 1:46:59 AM9/4/08
to hindi...@googlegroups.com, chauhan....@gmail.com
महेश जी मे आप की बातो से पूर्णतया सहमत हूँ |

लेकिन जब तक हमारी सरकार एस बारे में गंभीर रूप से नही सोचेगी तब तक बाल
मजदूरी इसी प्रकार चलती रहेगी | बाल मजदूरी हो अगर ख़त्म करना है तो जाती
, धर्म और आरक्षण जैसी चीजो को दूर रखना होगा | केयोकी गरीब की कोई जाति
या धर्म नही होता | कुछ बिन्दुओ पर प्रकाश डाल रहा हूँ जिसको मैंने अपने
प्रकाशित उपन्याश "भारत/INDIA"में भी विस्तार से लिखा है |

१-भारत सरकार को एक "शिक्षा आयोग " बनाना चाहिए जो पूर्णतया माननीय
महामहिम रास्ट्र्पति जी के आधीन हो |

२-आयोग की जिम्मेदारी १-१२ कक्षा के बच्चो तक की निशुल्क शिक्षा की
जिम्मेदारी हो और इसके लिए भारत के सभी नागरिको पर "Education Tex"
लगना चाहिए |

३-भारत के सभी नागरिको के लिए १-१२ तक की शिक्षा भारत में ही होनी चाहिए
| अन्यथा उसे भारतीय नागरिकता से वंचित रखना चाहिए |

४-सभी विषयों के अलावा हिन्दी और इंग्लिश मुख्या भाषा के रूप में जरूरी
होनी चाहिए और एक वैकल्पिक भाषा के रूप में प्रादेशिक भाषा भी होनी चाहिए
|

आपका
विजयराज चौहान (गजब)
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On 9/2/08, Mahesh <vermam...@gmail.com> wrote:
> बाल शिक्षा बनाम बाल मजदूरी
> http://popularindia.blogspot.com/2008/09/blog-post.html
>
> आज सरकार शिक्षा पर जोर दे रही है तथा तरह-तरह के योजनाएं चला रही हैं।
> पर उस सरकार को क्या यह वास्तविकता मालूम है कि उनके योजनाओं का कितना
> लाभ बच्चों को मिल रहा है। सरकार को यह नहीं मालूम है कि उनके द्वारा
> लागु किए गए दोपहर के भोजन का कार्यक्रम की सारी रकम व अनाज स्कूल के
> शिक्षकों द्वारा चट कर दिए जाते हैं और बच्चों को भोजन नहीं मिलता है और

> यदि कहीं कभी-कभी थोड़ा-बहुत मिल भी जाता है तो वह घटिया किस्म का ही रहता

MAHESH KUMAR VERMA

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Sep 4, 2008, 11:10:36 PM9/4/08
to hindi...@googlegroups.com, chauhan....@gmail.com

विजयराज जी,


प्रतिक्रया अपना विचार देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद


इस मुद्दा का स्थाई समाधान होना जरुरी है आरक्षण वगैरह जो समाज को कमजोर करती है उसे भी स्थाई रूप से समाप्त करना जरुरी है

 

आपका

महेश

http://popularindia.blogspot.com

vermam...@gmail.com





२००८-०९-०४ को, vijayraj chauhan <chauhan....@gmail.com> ने लिखा:



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Mahesh Kumar Verma
E-mail ID : vermam...@gmail.com
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