"Many of these blogs are run by television journalists. Those of us
who have ranted endlessly about the degeneration of Hindi TV news
would be surprised by this"
us aalekh me jyadatar unhi bloggers ka jikra hai jo ki peshe se
patrkaar hain aur abhi abhi aaye hain.
Isliye jyada khushi se fool ke kuppa hone ki koi baat nahi hai.
जैसा देबाशीष जी ने कहा मोहल्ला पुराण लाकर इस तरह का वैमनस्य फैलाने
वाले "पत्रकार ब्लॉगर" हमें नहीं चाहिए। ये लोग इतने पहुँचे हुए और समर्थ
हैं तो हिन्दी के प्रचार हेतु क्या कर रहे हैं ये बताएं, बजाय अपनी ऊर्जा
को सार्थक कामों में लगाने के बेकार के काल्पनिक झगड़े खड़े कर आपसी
मनमुटाव पैदा रहे हैं। हिन्दी को अब नेट पर फैलने से कोई नहीं रोक सकता,
कोई मदद करना चाहे तो अचछी बात है लेकिन अब इसे बैसाखियों की जरुरत नहीं।
जैसा कि जीतूजी ने कहा है कि यहां दो नीलिमा हो गई है तो आप मुझे रजनी के
नाम से जान सकते हैं..
रजनी
मुंबई