रविजी,
मेरा इरादा भी किसी के प्रयासों पर ऊँगली उठाना नहीं था. जो भी बन्धू काम
कर रहे है उन्हे साधूवाद. मगर जब कई स्तरों पर काम हो रहा है फिर भी
हिन्दी का सूची में न होना, दुखी करता है. जब लोग काम कर रहे है खामखा
टाँग घूसड़ना भी गलत है. हम भी अपने क्षेत्र में जहाँ थोड़ी बहुत
विशेषज्ञता प्राप्त है काम कर रहे है, ब्लॉग पर आवाजाही कम कर दी है.
कुछ होना चाहिए, एक ही काम कई दल अलग अलग कर समय और उर्जा बरबाद करने से
अच्छा है, एक ही जगह प्रयास हो.
"हिन्दी के लिए जो ठोकने बजाने वाली टोली है, उससे अनुवादकों की पटरी
नहीं बैठ पा रही है" तो ज्ञानीजन मध्यस्त बने.
बहरहाल नये संस्करण के लालच में मैने तो अपना हिन्दी ब्राउजर खो दिया
है. :(