विश्वभाषा बन रही है हिन्दी

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अनुनाद

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Sep 24, 2007, 12:16:55 AM9/24/07
to Chithakar
दैनिक हिन्दुस्तान (१४ सितम्बर) में पृष्ठ ९ पर नए क्षितिज में पुणय तिथि
नहीं, उत्सव मनाइए में सही कहा गया है कि हिन्दी आज सभी क्षेत्रों में
अपना झंडा लहरा रहा है। हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी संयुक्त राष्ट्र संघ की
भाषा बने न बने, मगर यह तय है कि पूरी दुनिया में हिन्दी विश्वभाषा के
रूप में विकसित हो रही है। आज हिन्दी सीखने में पूरी दुनिया के लोग रुचि
ले रहे है। अगला राष्ट्रमंडल खेल दिल्ली में होगा, इस वजह से भी दुनियाभर
में हिन्दी और भारत संबंधी अध्ययन को बढ़ावा मिल रहा हñ। क्षेत्र चाहे
रोजगार का हो या मनोरंजन, समाचार, प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया,
फिल्म, कंप्यूटर, टीवी की हिन्दी चारों ओर अपनी हरियाली बिखेर रही है।
इसमें मेरी समझ से सबसे ज्यादा अहम भूमिका समाचार-पत्रों ने निभाई है।
देश में भले ही अंग्रेजी बोलने वाले टाई-पैन्ट, सूट पहनकर अपना रौब
गांठने में लगे हों, परंतु गांधी बाबा के देश में खेत-खलिहानों से लेकर
शहर के स्लम क्षेत्र में रहने वाले हिन्दी पाठकों ने देश में सर्वाधिक
प्रसार संख्या वाले अखबारों की सूची में पहले तीन स्थानों पर हिन्दी के
अखबारों का कब्जा करवा दिया है।


निधि, सरस्वती गार्डन, नई दिल्ली

sanjay | जोग लिखी

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Sep 28, 2007, 2:48:23 AM9/28/07
to Chithakar
बात तो सही लिखी है.

zakirlko

unread,
Sep 29, 2007, 4:22:45 AM9/29/07
to Chithakar
वास्तव में हिन्दी आम-जन की भाषा है। पर हिन्दी वालों की दिक्कत यह है कि
जो हिन्दी की बदौलत जी रहा है, वह शो बिजनेस के रूप में अंग्रेजी का
प्रयोग करता है। इसे उसकी बेशर्मी ही कही जा सकती है। हिन्दी को विकसित
करने में समाचार पत्रों के साथ हिन्दी सिनेमा ने भी बहुत बडा योगदान दिया
है।
जाकिर अली "रजनीश"
http://alizakir.blogspot.com
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